सुरेंद्र मेहता/ हमारे प्रतिनिधि
यमुनानगर, 24 अप्रैल
हरियाणा में गन्ने का सर्वाधिक मूल्य 362 रुपए प्रति क्विंटल है, जो देश में सबसे अधिक है। दिलचस्प पहलू यह है कि गन्ने का छिलका, जिसे खोई बोलते हैं, उसका मूल्य 400 से लेकर 500 रुपए प्रति क्विंटल है।
सरकार ने पूरे देश में गन्ने का मूल्य सर्वाधिक 362 रुपये अगेती किस्म का घोषित किया था, जबकि पछेती किस्म के गन्ने का मूल्य 355 रुपए प्रति क्विंटल है। यमुनानगर सहित अंबाला, सोनीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल में गन्ने की सर्वाधिक खेती होती है। एशिया की सबसे बड़ी सरस्वती शुगर मिल यमुनानगर में स्थित है। इस वर्ष मिल में 175 लाख क्विंटल गन्ने की पिराई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जबकि पिछले वर्ष 162 लाख क्विंटल पिराई की गई थी। शुगर मिल के सीनियर उपप्रधान डीपी सिंह का कहना है कि शुगर मिल द्वारा हर साल सीजन शुरू होने से पहले ही गन्ने के छिलके की बिक्री का एग्रीमेंट कर लिया जाता है। उन्होंने कहा कि गन्ने से रस निकालने के बाद उसका छिलका शुगर मिल में भी इस्तेमाल होता है और बाहर भी बेचा जाता है। इस छिलके को बिजली व फ्यूल बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जबकि हजारों क्विंटल गन्ने का छिलका खुले बाजार में बेचा जाता है।
यमुनानगर में पेपर बनाने व पार्टिकल बोर्ड बनाने के कई कारखाने हैं, जहां भारी मात्रा में छिलका इस्तेमाल होता है। करोड़ों के इस कारोबार में हर साल रेट कम, ज्यादा होते रहते हैं। किसान संगठनों का कहना है कि इसका लाभ उन्हें भी मिलना चाहिए।
शुगर मिल किसानों को दे लाभ : सतपाल कौशिक
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सतपाल कौशिक ने कहा कि सरकार को बिजाई से पूर्व फसल का भाव तय करना चाहिए, ताकि किसान लाभ हानि का आकलन करके बिजाई करें। खेती में फायदा कम नुकसान ज्यादा हो रहा है, जो खतरे का संकेत है। उन्होंने कहा कि गन्ने का भाव 362 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन गन्ने से निकलने वाली खोई का भाव 400 से 500 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक है। किसान को तो खोई के भाव के भी पैसे नहीं मिल रहे हैं। कौशिक ने कहा कि शुगर मिलें सरकार को गुमराह करती हैं कि उन्हें नुकसान हो रहा है, जबकि शुगर मिल प्रबंधकों की नीयत व नीति ठीक नहीं है।