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समुद्री जहाज में किया सफलतापूर्वक 6500 किलोमीटर का सफर

सिरसा की बेटी मेजर कर्मजीत कौर ने रचा इतिहास
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समुद्री यात्रा के दौरान अपने जहाज पर मेजर कर्मजीत कौर रंधावा। -निस
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आनंद भार्गव/हप्र

सिरसा, 9 जून

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समुद्र की गर्म लहरों और थकान का सामना करते हुए भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की महिला अधिकारियों की टीम ने मेजर कर्मजीत कौर रंधावा के नेतृत्व में इतिहास रच दिया है। इस इतिहास की साक्षी बनी है सिरसा के गांव कंगनपुर निवासी एडवोकेट रिछपाल सिंह की होनहार बेटी मेजर कर्मजीत कौर। तूफानों, थकान और तूफानी समुद्र का सामना करते हुए सेशेल्स तक 6500 किलोमीटर समुद्री मील की ऐतिहासिक यात्रा भारत निर्मित समुद्री जहाज से सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद टीम मुंबई लौट आई। रविवार को मेजर कर्मजीत कौर सिरसा पहुंची, जहां परिजनों व ग्रामीणों ने बेटी को सर आंखों पर बैठाया और उसके प्रयासों की सराहना करते हुए इसे दूसरी बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत बताया। कर्मजीत कौर के परिवार में उनके पिता एडवोकेट रिछपाल सिंह रंधावा, माता राजविंद्र कौर व भाई एडवोकेट अर्शप्रीत सिंह रंधावा हैं।

बतौर मेजर कर्मजीत कौर रंधावा उन्होंने कई टेस्ट दिए और आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसका 2015 में चयन फौज में हो गया। वह अभी मुंबई में कार्यरत है। उसने बताया कि 7 अप्रैल को मुंबई से त्रिशक्ति अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था। यह बोट ऐसी थी, जोकि हवा से ही चलती थी, न तो डीजल था, न लाइट और न ही अत्यधिक सामान साथ ले जा सकते थे। लाइट सोलर सिस्टम से ही जलती थी। हालांकि इस अभियान के दौरान अनेक परेशानियां भी आई, लेकिन मन में एक जुनून था और दृढ़ निश्चय था कि चाहे कुछ भी हो, बस आगे जाना है।

मील का पत्थर साबित होगी यह समुद्री यात्रा

यह अभियान भारतीय सेना की समुद्री यात्रा में एक मील का पत्थर है, जो सेना, नौसेना और वायुसेना में महिला अधिकारियों की परिचालन शक्ति और तालमेल को प्रदर्शित करता है। इस टीम में भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा, मेजर कर्मजीत कौर, मेजर तान्या, कैप्टन ओमिता, कैप्टन दौली, कैप्टन प्राजक्ता, भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर प्रियंका और भारतीय वायु सेना की स्क्वाड्रन लीडर विभा, स्क्वाड्रन लीडर श्रद्धा, स्क्वाड्रन लीडर अरुवी, स्क्वाड्रन लीडर वैशाली शामिल थीं। स्वदेश निर्मित 56 फुट लंबे जहाज त्रिवेणी पर सवार सभी महिला चालक दल ने दो महीने तक खुले समुद्र की कठोर परिस्थितियों में उष्णकटिबंधीय तूफानों, समुद्र की उच्च स्थितियों और लंबे समय तक थकान से जूझते हुए यात्रा की।

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