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विद्यार्थी जुटें देश को विकसित बनाने में : सीपी राधाकृष्णन

एनआईटी कुरुक्षेत्र के दीक्षांत में पहुंचे उपराष्ट्रपति
एनआईटी कुरुक्षेत्र के 20वें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए भारत के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन। -हप्र।
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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) कुरुक्षेत्र के विंशतितम दीक्षांत समारोह में मुख्यातिथि के रूप में बोलते हुए देश के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने रविवार को 2047 में भारत को विकसित भारत बनाने के सपनों को पूरा करने पर जोर देते हुए कहा कि एनआईटी कुरुक्षेत्र से पास हुए विद्यार्थियों को अपनी ओर से 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए इस कोशिश में जुट जाना चाहिए, यदि भारत को आगे बढ़ाना है तो हमें छोटी-छोटी बातों पर भी समग्रता से ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने विदेश की गूगल जैसी तीन बड़ी कम्पनियों का नाम लेते हुए कहा कि हमारे वैज्ञानिकों को भी गहनता से सिखते हुए अपना स्वयं का उत्पाद बना पाने की क्षमता पैदा करनी चाहिए। विदेशों की बड़ी-बड़ी कम्पनियों की तरह शिक्षा प्रयोग करके विकसित भारत के प्रति ध्यान देते हुए बड़ी कम्पनियों को पैदा करना चाहिए। पैटेंट पर जोर देते हुए उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि एनआईटी कुरुक्षेत्र ने भी 64 पैटेंट किए हैं।

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उन्होंने कहा कि छात्रों को विकास के लिए आईटी, इलेक्ट्रिक वहीक्ल और स्पेस में भारतीय स्वदेशी इण्डस्ट्री बनाने के लिए भी काम करना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे आत्मनिर्भर भारत और ए-आई के क्षेत्र में काम करते हुए तकनीक के माध्यम से देश में योगदान देने का काम करें। इसके अलावा उन्होंने तकनीकी छात्रों के लिए ओर भी कईं सुझाव तथा अपने विचार दिए। उन्होंने कुरुक्षेत्र की एनआईटी से पास 40 हजार पूर्वछात्रों की उपलब्धियों की जोरदार प्रशंसा की।

20वें दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति ने एनआईटी के 2024-25 के अकैडमिक सेशन में पास हुए कैंडिडेट को कुल 1494 डिग्रियां प्रदान की। डिग्रियां लेने वालों में 1037 बीटेक, 397 एमटेक, एमबीए, एमसीए, एमएससी (सभी पीजी) और 60 पीएचडी की उपाधियां प्राप्त शामिल हैं। समारोह में डिजिटल उपाधियां भी दी गई। इसके अलावा अलग-अलग ब्रांच वाइज और प्रोग्राम वाइस टॉपर्स को कुल 36 स्वर्ण पदक दिए गए। यूजी प्रोग्राम के ऑवरऑल टॉपर बीटेक इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के निपुण त्रिपाठी को शाम सुंदर ढिंगरा गोल्ड अवार्ड दिया गया। उन्होंने सभी को बधाई और शुभाकामनाएं दी। उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को नशे से दूर रहने की अपील भी की।

दीक्षांत समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हरियाणा के राज्यपाल प्रो. अशीम कुमार घोष ने अपने संबोधन में राज्य और देश के विकास के लिए एनआईटी कुरुक्षेत्र के संकाय और छात्रों द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि एनआईटी कुरुक्षेत्र जो भारत के रिसर्च और इनोवेशन इको सिस्टम में एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में तेजी से उभर रहा है, आने वाले समय में गौरव और उपलब्धियों की नई उचांईयों को प्राप्त करेगा।

विशिष्ट अतिथि के रूप में ही उपस्थित हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि बदलते दौर में चुनौतियों का सरल व प्रभावशाली समाधान केवल नवाचार से संभव है। उन्होंने डिग्रीधारक और पदक लेने वाले युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग समाज की समस्याओं को सरल बनाने में करें। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने में युवाओं की सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका बताया।

उन्होंने सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए दीक्षांत समारोह को किसी भी संस्थान के इतिहास का मील का पत्थर बताया। यह भी जानकारी दी कि एनआईटी कुरुक्षेत्र 1963 में स्थापित हुआ था और अब राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। संस्थान के ओपन एयर थिएटर में आयोजित दीक्षांत समारोह में समारोह की अध्यक्षता में कर रही एनआईटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की चेयरपर्सन तेजस्विनी अनंत कुमार ने दीक्षांत समारोह की शुरूआत की।

उन्होंने उल्लेख किया कि कुरुक्षेत्र भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र कर्म भूमि है, जहां महाभारत काल के दौरान उन्होंने अर्जुन को पवित्र उपदेश दिया था। दीक्षांत समारोह में संस्थान के निदेशक प्रो. बीवी रमना रेडडी ने दीक्षांत समारोह में पहुंचने पर सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और 1963 से स्थापित एनआईटी कुरुक्षेत्र के बारे में विस्तार से बताया। दीक्षांत समारोह में आने वाले गणमान्य व्यक्ति प्रातः से ही आने शुरू हो गए थे। सभी गणमान्यों ने सीनेटरों के साथ एक चित्र भी खिंचवाया। दीक्षांत समारोह के बाद कॉनवोकेशन शोभायात्रा श्रीमद्भगवद् गीता के मंत्रों के जाप के बीच शुरू हुई। कार्यक्रम की शुरूआत हरियाणा पुलिस बैंड द्वारा राष्ट्रगान के साथ की गई। कार्यक्रम का समापन भी राष्ट्रगान के साथ हुआ।

 

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