हरियाणा में स्टोन क्रशर इकाइयों पर सख्ती
हरियाणा सरकार ने स्टोन क्रशर इकाइयों के संचालन और स्थापना को लेकर बड़े बदलाव किए हैं। पर्यावरण, वन और वन्यजीव विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक अब प्रदेश में कोई भी स्टोन क्रशर इकाई तभी स्थापित की जा सकेगी जब वह निर्धारित दूरी मानकों और प्रदूषण नियंत्रण उपायों का पालन करेगी। यह कदम राज्य में प्रदूषण स्तर कम करने और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है।
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि स्टोन क्रशर इकाइयों को राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से कम से कम 0.5 किलोमीटर, नगर निगम सीमा से 2 किलोमीटर और नगरपालिकाओं से 1 किलोमीटर दूर स्थापित करना अनिवार्य होगा।
इसी तरह गांव की आबादी, विद्यालयों, अस्पतालों और संवेदनशील स्थलों से भी निश्चित दूरी बनाए रखनी होगी। उदाहरण के तौर पर, स्कूल से न्यूनतम 0.5 किलोमीटर और अस्पताल से 1 किलोमीटर दूरी पर ही स्टोन क्रशर लगाए जा सकेंगे। नदियों, नालों और बांधों से एक किलोमीटर से कम दूरी पर किसी भी इकाई की अनुमति नहीं होगी।
सरकार ने निर्देश दिया है कि हर स्टोन क्रशर इकाई को धूल और शोर प्रदूषण रोकने के लिए उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। इसके लिए वाटर स्प्रिंकलर सिस्टम, ग्रीन बेल्ट का निर्माण और ऊंची दीवारें खड़ी करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, इकाइयों को ऊर्जा बचत और पर्यावरण हितैषी तकनीक अपनाने के भी आदेश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर फोकस
नए नियमों के तहत यह भी तय किया गया है कि किसी भी स्टोन क्रशर इकाई से वायु प्रदूषण स्तर 600 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नियमित अंतराल पर इकाइयों की जांच करेगा और मानक तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई करेगा।
सरकार ने साफ किया है कि पहले से चल रही स्टोन क्रशर इकाइयों को भी नए मानकों के अनुरूप खुद को ढालना होगा। यदि कोई इकाई निर्धारित समयसीमा के भीतर नियमों का पालन नहीं करती है तो उसे बंद कर दिया जाएगा। सरकार का कहना है कि यह कदम विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों को साथ लेकर चलने की सोच का हिस्सा है। स्टोन क्रशर से निकलने वाली धूल, शोर और अन्य प्रदूषण तत्व न केवल लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं बल्कि फसलों, जल स्रोतों और वन्यजीवों पर भी असर डालते हैं।
अवैध खनन और अनधिकृत इकाइयों पर शिकंजा
अधिसूचना में प्रावधान किया गया है कि बिना अनुमति चल रही इकाइयों को तुरंत बंद किया जाएगा। साथ ही, अवैध खनन गतिविधियों पर भी विशेष निगरानी रखी जाएगी। किसी भी नई इकाई को संचालन शुरू करने से पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा। वहीं, पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि नए नियम लागू होने से प्रदेश में प्रदूषण पर काफी हद तक अंकुश लगेगा और आम जनता को राहत मिलेगी। वहीं उद्योग जगत का मानना है कि स्पष्ट मानक तय होने से निवेशकों और इकाइयों को भी पारदर्शिता और स्थिरता मिलेगी।