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हरियाणा में टैक्सी-ऑटो ऑपरेटरों पर सख्त शर्तें

यात्रियों की सुरक्षा प्राथमिकता : कड़े ‘एग्रीगेटर नियम’ लागू करने का निर्णय, 5 लाख रुपये लाइसेंस फीस, ड्राइवर का बैकग्राउंड चेक अनिवार्य
सांकेतिक चित्र।
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हरियाणा सरकार ने राज्य में टैक्सी, ऑटो, बाइक-टैक्सी सहित सभी एग्रीगेटर आधारित सेवाओं के लिए नये ‘हरियाणा मोटर व्हीकल (एग्रीगेटर) रूल्स-2025’ लागू करने का निर्णय लिया है। इन नियमों का उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा को मजबूत करना, ड्राइवरों की जवाबदेही तय करना और परिवहन व्यवस्था को एक समान ढंग से नियंत्रित करना है।

यहां बता दें कि 8 दिसंबर को कैबिनेट मीटिंग में इस निर्णय पर मुहर लगी थी। इस संदर्भ में शुक्रवार को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया। हालांकि, यह अंतिम निर्णय नहीं है। इस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर संबंधित व आम लोग एक सप्ताह के भीतर अपने सुझाव एवं आपत्ति दर्ज करवा सकेंगे।

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नयी व्यवस्था के तहत, सार्वजनिक परिवहन के लिए ड्राइवर और वाहन जोड़कर सेवा देने वाली कंपनी को सरकार से अनिवार्य लाइसेंस लेना होगा। लाइसेंस फीस 5 लाख रुपये तय की गई है। वहीं, लाइसेंस रिन्यू के लिए 25 हजार रुपये देने होंगे। संबंधित कंपनी को अगर अपना पता बदलना है तो इसके लिए भी आवेदन करना होगा और 25 हजार की फीस देनी होगी। इसके अलावा, किसी भी बड़े एग्रीगेटर को फ्लीट साइज के अनुसार 10 लाख से 50 लाख रुपये तक सुरक्षा निधि (सिक्योरिटी डिपॉजिट) देनी होगी। सौ वाहन तक 10 लाख, एक हजार तक 25 लाख और उससे ऊपर 50 लाख रुपये जमा कराने होंगे।

दस्तावेज के अनुसार, कोई भी ड्राइवर तब तक एग्रीगेटर के लिए काम नहीं कर सकेगा, जब तक वह पुलिस वेरिफिकेशन, मेडिकल फिटनेस, वैध ड्राइविंग लाइसेंस और पिछले 3 वर्षों में गंभीर अपराध का रिकॉर्ड न होने की शर्ते पूरी न कर दे। हर चालक को कम से कम 4 घंटे का प्रशिक्षिण कार्यक्रम, सड़क सुरक्षा, व्यवहार, आपात स्थिति में सहायता और वाहन संचालन संबंधी प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा।

महिला और दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष प्रावधान

एग्रीगेटर को अपनी सेवाओं में ऐसे फीचर जोड़ना अनिवार्य किया गया है, जिससे महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। एप में एसओएस फीचर, राइड-डिटेल शेयरिंग और रियल-टाइम ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं अनिवार्य होंगी। हर एग्रीगेटर को अब 24X7 कंट्रोल एंड मॉनिटरिंग रूम चलाना होगा। यह केंद्र ड्राइवरों और यात्रियों से लगातार संपर्क में रहेगा। शिकायतों का समाधान करेगा। दुर्घटना या विवाद की स्थिति में त्वरित हस्तक्षेप करेगा। इसके साथ ही, कॉल सेंटर भी चलाना होगा।

ऑन-बोर्ड कैमरे, जीपीएस अनिवार्य

नियमों में कहा गया है कि सभी एग्रीगेटर-संचालित वाहन में जीपीएस ट्रैकिंग, ड्राइवर की पहचान दर्शाने वाला डिजिटल रिकॉर्ड, ऑन-बोर्ड कैमरा (जहां आवश्यक), वाहन की मेंटेनेंस स्थिति का डिजिटल लॉग रखना होगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि एग्रीगेटर सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करते या यात्रियों के हितों की अनदेखी करते हैं, तो लाइसेंस तीन महीने तक निलंबित होगा। गंभीर मामलों में रद्द भी किया जा सकता है। यदि किसी ड्राइवर के खिलाफ कानून के तहत शिकायत दर्ज होती है, तो एग्रीगेटर को तीन दिन के भीतर जांच कर रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा।

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