दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 10 दिसंबर
दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन की समाप्ति के बाद अब प्रदेश सरकार संयुक्त किसान मोर्चा के साथ हुई सहमति पर काम शुरू कर चुकी है। आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए पुलिस केस वापस लिए जाएंगे। सरकार ने सभी जिलों से आंदोलन की शुरुआत से लेकर अब तक दर्ज मुकदमों की स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है। पूरी रिपोर्ट आने के बाद सरकार केस वापसी को लेकर फैसला लेगी।
राज्य सरकार अधिकारिक रूप से केंद्र सरकार के साथ हुए समझौते की कापी का इंतजार कर रही है। केंद्र से जवाब आने के बाद राज्य सरकार प्रदेश में दर्ज सभी केसों का अध्ययन करेगी। एडवोकेट जनरल (एजी) से इस बाबत कानूनी राय ली जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकार केस की स्टेज के हिसाब से उन्हें वापस लेने का फैसला करेगी।
जिन मामलों में फिलहाल पुलिस ने केवल एफआईआर ही दर्ज की हुई है, ऐसे मामले स्थानीय स्तर पर ही रद्द हो जाएंगे। पुलिस जांच के दौरान भी इस तरह की एफआईआर को रद्द कर सकती है। पिछले साल नवंबर में शुरू हुए किसानों के आंदोलन से तक अभी तक हरियाणा के अलग-अलग जिलों में किसान संगठनों, किसान नेताओं व किसानों सहित अज्ञात लोगों पर कुल 264 एफआईआर दर्ज की गई। इन मामलों में 1757 लोगों को नामजद किया गया है और 48 हजार के लगभग अज्ञात लोगों पर केस हैं। सरकार द्वारा केस रद्द करने का फैसला लेने के बाद होम सेक्रेटरी की ओर से इस बाबत सभी जिलों के डीएम (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) को सिफारिश की जाएगी। डीसी/डीएम इसके लिए डिस्ट्रिक अर्टानी (डीए) को लिखेंगे। डीए इस तरह के मामलों को रद्द करने का फैसला लेंगे। वहीं जिन मामलों में पुलिस द्वारा कोर्ट में चालान पेश किए जा चुके हैं, ऐसे मामलों में सरकार की ओर से संबंधित कोर्ट में एप्लीकेशन दायर कर केस रद्द करने की मांग की जाएगी।
सरकार जनहित और समाज में शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने की दलील के साथ कोर्ट में एप्लीकेशन दायर करेगी। कोर्ट की परमिशन के बाद ऐसे मामलों को भी रद्द किया जा सकेगा, जिनमें चालान पेश हो चुके हैं। यहां बता दें कि कुल 264 एफआईआर में से 150 के करीब मामलों में पुलिस द्वारा कोर्ट में चालान पेश किया जा चुका है। ऐसे मामलों में यह पता लगाया जाएगा कि कितनों में कोर्ट में गवाही हो चुकी है। माना यही जा रहा है कि कोर्ट में अभ तक गवाही तक मामले पहुंचे नहीं हैं।
सरकार भंग कर सकती है अग्रवाल आयोग
किसान आंदोलन के दौरान ही 28 अगस्त को करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की जांच के लिए सरकार ने न्यायिक जांच आयोग का गठन किया हुआ है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस एसएन अग्रवाल अपनी जांच शुरू कर चुके हैं। वे लाठीचार्ज होने के पीछे की घटना की जांच करेंगे। साथ ही, इस पूरे मामले में आईएएस आयुष सिन्हा की भूमिका की जांच का भी जिम्मा उन्हें दिया है। आयुष सिन्हा के किसानों पर लाठीचार्ज करने व सिर फोड़ने के वायरल वीडियो के बाद किसान उग्र हुए थे। आयुष सिन्हा को लम्बी छुट्टी पर भी भेजा गया। अब चूंकि संयुक्त किसान मोर्चा के साथ सरकार ही सहमति बन चुकी है और आंदोलन समाप्ति का ऐलान हो चुका है। ऐसे में सरकार चाहेगी तो अग्रवाल आयोग को भंग भी कर सकती है।
मृतक किसानों का डाटा होगा मैच
केंद्र सरकार के साथ हुई सहमति के तहत आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों की आर्थिक मदद सरकार करेगी। एक साल से भी अधिक चले इस आंदोलन के दौरान कुल 714 किसानों की जान गई। प्रदेश सरकार हरियाणा के ही किसानों के परिजनों को आर्थिक मदद देगी। सरकार के रिकार्ड के अनुसार, प्रदेश के 47 किसानों की जान गई है। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का दावा है कि हरियाणा के 125 किसानों की जान गई। सरकार ने एसकेएम से सभी किसानों का डॉटा मांगा है। यह डॉटा सरकार के रिकार्ड के साथ मैच होगा। जिलों से भी सरकार रिपोर्ट लेगी। इसके बाद तय होगा कि प्रदेश के कितने किसानों के परिजनों को आर्थिक मदद दी जाएगी।
केंद्र सरकार ने फैसला लिया है। केंद्र के आदेशों का इंतजार है। केंद्र से निर्देश आने के बाद हरियाणा में दर्ज एफआईआर का अध्ययन होगा। केस की स्टेज के हिसाब से सरकार फैसला लेगी। जिन मामलों में अभी तक केवल एफआईआर हुई है, उन्हें स्थानीय स्तर पर ही सरकार के फैसले के बाद रद्द किया जा सकेगा। जिन मामलों में कोर्ट में चालान पेश हो चुके हैं, उन मामलों को रद्द करने के लिए सरकार की ओर से कोर्ट में एप्लीकेशन दायर की जाएगी। कोर्ट की परमिशन से ऐसे मामले रद्द हो सकते हैं।
-बलदेव राज महाजन, एडवोकेट जनरल