सोनीपत, 30 मई (हप्र)
सोनीपत की होनहार लड़कियों ने एक बार फिर से सिविल सर्विस में सफलता के झंडे गाड़ दिए। कड़ी मेहनत के बूते प्रतिभा दहिया ने 55वां, कुमारी उत्तम ने 121वां तथा गरिमा ने 220वीं रैंक पाई है।
जिले के गांव आनंदपुर झरोठ की प्रतिभा दहिया ने पिछले साल पहली बार परीक्षा देकर 214वां रैंक और दूसरी बार परीक्षा देकर 55वां रैंक हासिल करते हुए ग्रामीण आंचल की प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
ट्राला चालक रहे पिता ओमप्रकाश दहिया का कहना है कि ग्रामीण आंचल की यह उपलब्धि क्षेत्र के अन्य युवाओं का भी प्रेरणा देने का काम करेगी। वह फिलहाल हैदराबाद में आईपीएस की ट्रेनिंग कर रही है। खास बात यह है कि प्रतिभा ने दोनों बार में बगैर कोचिंग के पाई सफलता पाई है। उसके घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
उत्तम ने घर पर रहकर की तैयारी

गांव निमाजपुर की उत्तम ने यूपीएससी की परीक्षा में 121वां स्थान हासिल किया। उत्तम ने कैमिस्ट्री में एमएससी कर रखी है। उन्होंने एक साल दिल्ली में रह कर कोचिंग ली और तीन साल घर पर रहकर तैयारी की। पिता रामरूप गांव में स्कूल चलाते हैं और मां राजकला गृहणी हैं।
गरिमा ने विश्वास और निरंतर मेहनत से पाया लक्ष्य

विश्वास और निरंतर मेहनत की अपनी इसी सोच को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर गरिमा गर्ग ने सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की है। शहर के गुड़ मंडी क्षेत्र की रहने वाली गरिमा गर्ग ने 220वीं रैंक हासिल कर अपने सपने को पूरा किया है। गरिमा ने 10वीं तक की पढ़ाई शहर के हिंदू विद्यापीठ स्कूल से की है। गरिमा के पिता राधे कृष्ण बैंक में कार्यरत है। जबकि मां सुनीता गर्ग अध्यापिका है। गरिमा का सपना था कि पापा को अफसर बन कर दिखाना है। जब परीक्षा में उत्तीर्ण होने की खबर गरिमा को मिली तो उसने किसी के सामने जिक्र नहीं किया। सीधे पापा के पास बैंक में पहुंची हो उनको खुशीखबरी दी। गरिमा ने बताया कि पापा के चेहरे पर जो गर्व था वो मेरे लिए दुनिया की सबसे अनमोल चीज है।
निधि को तीसरे प्रयास में मिली सफलता

शहर के विकास नगर की रहने वाली निधि ने तीसरे प्रयास में सिविल सर्विस सेवा परीक्षा पास की है। निधि ने 12वीं तक की पढ़ाई शहर के शिवा स्कूल से की है। इसके बाद रूडकी आईआईटी से कमेस्ट्री में बीएससी और एमएसी की। निधि का कहना है कि बचपन से ही कुछ अलग करने की सोच थी। बचपन में ही सोचा था कि कुछ ऐसा करूंगी जिससे पहचान भी मिले और जरूरतमंद लोगों की मदद भी कर पाऊं। सिविल सेवा ही ये रास्ता है। निधि के पिता बलवान सेवानिवृत्त प्राचार्य है। वहीं, उनकी माता सुशील देवी भी लेक्चरर है। उनकी माता-पिता ने कहा कि उन्हें उनकी बेटी पर गर्व है और उसने अपनी मेहनत से ये मुकाम हासिल किया है।