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1032 अस्थाई स्कूलों का समाधान अटका

प्राइवेट स्कूल संघ ने मांगा एक्सटेंशन लेटर और स्थायी मान्यता
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हरियाणा के 1032 अस्थाई परमिशन प्राप्त स्कूलों का समाधान लंबे समय से अटका हुआ है। इस मुद्दे को लेकर प्राइवेट स्कूल संघ ने सरकार से तुरंत एक्सटेंशन लेटर जारी करने की मांग की है। साथ ही, संघ का कहना है कि भाजपा के घोषणा पत्र में किए गए वादे के अनुसार नियमों में सरलीकरण कर इन स्कूलों को स्थायी मान्यता दी जानी चाहिए ताकि लाखों बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो।

संघ प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा कि भाजपा ने 2014 विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा पत्र में स्पष्ट वादा किया था कि अस्थाई स्कूलों को नियमों को सरल बनाकर एकमुश्त स्थायी मान्यता दी जाएगी। लेकिन 11 साल बीत जाने के बाद भी यह वादा पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि इनमें से कई स्कूल 30 साल से भी ज्यादा समय से संचालित हो रहे हैं। ये संस्थान भवन और सुविधाओं से जुड़े लगभग सभी मानक पूरे कर चुके हैं।

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केवल जमीन की शर्त इन स्कूलों के लिए पूरी करना संभव नहीं है, क्योंकि इनके आसपास मकान बने हुए हैं और खाली जगह उपलब्ध नहीं है। संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि प्रदेश के हजारों प्राइवेट स्कूलों के एमआईएस पोर्टल पिछले तीन महीने से बंद पड़े हैं, जिससे बच्चों के ऑनलाइन दाखिले ठप हो गए हैं। उन्होंने सरकार से जल्द पोर्टल खोलने की मांग की। इसके अलावा, स्कूल सोसायटियों पर लगाए गए एक-एक लाख रुपये के जुर्माने को भी माफ करने की अपील की गई है।

प्रांतीय महासचिव पवन राणा, रणधीर पूनिया, प्रदेश उपप्रधान कुलदीप यादव, प्रेस सचिव राजबीर ढाका और सलिंदर शास्त्री ने भी इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए कहा कि एमआईएस पोर्टल तुरंत खोला जाए ताकि नए शैक्षणिक सत्र में दाखिले प्रभावित न हों। संघ के प्रदेश सचिव प्रदीप पूनिया, विनय वर्मा और लीगल एडवाइजर गौरव भूटानी ने कहा कि इन स्कूलों में ढाई लाख से ज्यादा गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे कम फीस में पढ़ रहे हैं। यही कारण है कि अभिभावक चाहते हैं कि इन स्कूलों की अस्थाई मान्यता समाप्त न हो और जल्द समाधान निकले।

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