चंडीगढ़, 9 मई (ट्रिन्यू)
हरियाणा में सामाजिक व धार्मिक संगठनों को चैरिटेबल कार्यों के लिए प्रदेश सरकार सस्ती दरों पर जमीन उपलब्ध कराएगी। इस तरह की पॉलिसी पूर्व की हुड्डा सरकार ने 20 अगस्त, 2014 को बनाई थी। हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने इस पॉलिसी में बदलाव किया है। धार्मिक व सामाजिक संगठनों को तीन हजार वर्गमीटर तक जमीन सस्ती दरों पर मिल सकेगी।
सामाजिक व धार्मिक संगठन – मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च, धर्मशाला, कम्युनिटी सेंटर, बारात घर, डिस्पेंसरी, अस्पताल, लैब आदि के निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध करवाई जाएगी। सरकार द्वारा पॉलिसी में किए बदलाव को निगरानी और समन्वय शाखा की ओर से सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागों के मुखियाओं, बोर्ड-निगमों में प्रबंध निदेशकों, प्रशासकों, मंडलायुक्तों, डीसी और सभी विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार के पास संशोधित पॉलिसी भेजी है।
अहम बात यह है कि नियमों में संशोधन 12 फरवरी, 2019 को ही कर दिए गए थे, लेकिन अब सरकार ने इसे लागू करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं को कुल तीन हजार वर्ग मीटर में से दो हजार वर्ग मीटर जमीन संबंधित एरिया के कलेक्टर रेट की पचास प्रतिशत दरों पर दी जाएगी। अतिरिक्त एक हजार वर्ग मीटर जमीन के लिए पूरा कलेक्टर रेट देना होगा। आदेशों के मुताबिक सरकारी महकमों की जमीन सामुदायिक और धार्मिक स्थलों को आवंटित करने के लिए जिला उपायुक्तों और संबंधित पक्ष के बीच सेल डीड बनेगी।
तीन साल में करना होगा निर्माण : सस्ती दर पर सरकारी जमीन आवंटित होने के तीन साल के भीतर धार्मिक स्थलों और सामुदायिक केंद्रों को निर्माण कार्य पूरा करके संचालन शुरू करना अनिवार्य रहेगा। हालांकि निर्धारित अवधि में निर्माण पूरा होने पर दो साल की छूट दी जाएगी बशर्ते कि 40 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो गया हो।
कमर्शियल गतिविधियों की मिल चुकी मंजूरी
गौरतलब है कि इससे पहले सरकार धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं की जमीन पर दुकानें आदि बनाने की भी छूट दी जा चुकी है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने यह फैसला लिया था। धार्मिक व सामाजिक संस्थाएं अपनी जमीन के बाहर दुकानें बना सकेंगी, लेकिन इसके लिए उन्हें निर्धारित फीस जमा करवानी होगी। यह निर्णय इसलिए लिया है ताकि धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं की आर्थिक आय बढ़ सके।