देशपाल सौरोत/हप्र
पलवल/नूंह, 3 अक्तूबर
लोगों में अभी कोरोना का भय खत्म नहीं हुआ है वहीं जिले में अज्ञात बुखार का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। गांव चिल्ली में बुखार से पीडि़त 11 बच्चों की मौत के बाद अब गांव छायंसा में पिछले 10 दिनों में 8 बच्चों की मौत हो चुकी है, वहीं हथीन क्षेत्र में भी अब तक कुल 24 बच्चों की असमय मौत हो चुकी हैं। इसके अलावा पलवल शहर में भी बुखार से करीब आधा दर्जन मौतें हो चुकी हैं। निजी अस्पताल बुखार के मरीजों से भरे पड़े हैं। स्वास्थ्य विभाग की तमाम कोशिशों के बाद भी अभी तक पता नहीं चल पाया है कि आखिर यह बुखार है क्या।
यूं तो जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग हरियाणा के अपर मुख्य सचिव देवेंदर सिंह तथा महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा डॉ. वीणा सिंह भी जिले का दौरा कर अधिकारियों को निर्देश दे चुकी हैं, लेकिन अभी तक इस बुखार पर काबू नहीं पाया जा सका है। गांव में सैकड़ों लोग बुखार से पीडि़त हैं। गांव के लोगों में बच्चों की हो रही मौत व बढ़ते बुखार के मरीजों की संख्या देखकर हड़कंप मचा हुआ है। छांयसा गांव में एजाज की सात वर्षीय बेटी मुब्बसिरा, साकिर के तीन माह के बेटे जिशान, शमशु की नौ दिन की बेटी मुनसिदा की बुखार से मौत हो गई। इसके अलावा पिछले दस दिनों के दौरान नौ माह की अनम पुत्री नासिर, मिसकीन पुत्री आजाद, अनम पुत्री राहुल व गांव के जक्कर की बेटी की मौत प्लेटलेट्स कम होने के कारण हो गई। परिजनों के मुताबिक मुब्बसिरा को दो दिन पहले बुखार हुआ था। उसे नल्हड़ मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गई। बुखार से पीडि़त जिलशान की पलवल के अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं शम्मु की बेटी मुनसिदा की भी बुखार से नल्हड़ मेडिकल कालेज में मौत हो गई। गांव के नासिर के अनुसार कई दिन पहले उनकी नौ माह की बेटी अनम को बुखार के कारण हथीन के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर उसकी प्लेटलेट्स 90 हजार से भी कम पाई गई। प्राइवेट क्लीनिक में डॉक्टरों ने बच्ची को डेंगू बताया था। बच्ची ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। गांव में जो आठ मौतें हुई हैं स्वजनों के मुताबिक सभी मौतें बुखार से बताई गई हैं। ग्रामीणों के मुताबिक गांव के 100 से भी ज्यादा बच्चे फिलहाल बुखार की चपेट में है। गांव के चारों तरफ बाढ़ का पानी भरा हुआ है।
गांव आकेड़ा में 5 वर्षीय बच्चे की मौत
नूंह/मेवात (निस) : नूंह जिले में डेंगू, मलेरिया, वायरल व मौसम जनित बीमारियों का कहर थम नहीं रहा है। गांव आकेड़ा निवासी साजिद वकील, जकरिया, जुनैद, पप्पू माथुर, जाहिद ठेकेदार, कासिम व अन्य ने बताया कि उनके गांव में डेंगू, मलेरिया, वायरल, बुखार व अन्य बीमारियों से 12 मौतें हो चुकी हैं और हाल ही एक 5 वर्षीय बच्चे आरिज पुत्र सब्बीर की बुखार से मौत हो चुकी है। मांडीखेड़ा अस्पताल के चिकित्सक डाॅ. बिमलेश तिवारी ने कहा कि रविवार को अवकाश होने की वजह से रक्त के लिए नमूनों की जांच नहीं हो पाई है। अभी तक डेंगू के मरीजों की संख्या 93 हो चुकी है।
कहां कितने बच्चो की मौतें
अज्ञात बुखार से 11 बच्चे चिल्ली, दो बच्चे खिल्लुका, एक बच्चा भीमसीका, दो बच्चे मलाई, दो बच्चों की मौत हथीन शहर में हुई है। इसके अलावा पलवल शहर में भी बुखार से करीब आधा दर्जन मौतें हो चुकी हैं। वहीं गांव पचानका, गोहपुर, रूपडाका, उटावड़, गुराक्सर, खिल्लुका, मिठाका, पहाड़पुर, हुचपुरी, स्वामिका, मठेपुर, मलाई, भीमसीका, चिल्ली में बुखार का प्रकोप ज्यादा है। स्वास्थ्य विभाग अभी तक यह पता नहीं लगा पाया है कि आखिर यह बुखार कौन सा है जो लगातार बच्चों को अपनी मौत के आगोश में ले रहा। गांव चिल्ली के निवर्तमान सरपंच नरेश कुमार ने बताया कि गांव में अधिकतर मौतें बुखार के बाद प्लेटलेट्स कम होने से हुई हैं। चिल्ली में पिछले 10 दिनों से कोई मौत नहीं हुई है। लेकिन, 10 दिनों में बुखार के लगभग दो सौ मरीज सामने आ चुके हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने कहा – हम सजग हैं
जिला स्वास्थ्य विभाग की प्रवक्ता डॉ. सुषमा चौधरी का कहना है कि सीएमओ डॉ. ब्रह्मदीप सिंह के नेतृत्व में जिला स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सजग है। गांव में सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है वहीं जांच की जा रही है कि आखिर मौतें किन कारणों से हुई हैं। लोगों की मलेरिया जांच के लिए भी सैंपल लिए गए हैं। विभाग द्वारा चिल्ली गांव में अस्थायी अस्पताल में ओपीडी में डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है। साथ ही वहां दवा स्टोर खोलकर लगातार मरीजों को दवाइयां दी जा रही हैं। रोजाना डॉक्टरों की टीम बुखार के मरीजों की जांच कर इलाज कर रही है।