ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 19 सितंबर
रसोई गैस की लगातार बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। गैस सिलेंडर के आसमान छूते दामों के कारण गरीब परिवार फिर से उपलों, लकड़ी के चूल्हे जलाने को मजबूर हो गए हैं। यह सेहत को प्रभावित करने के साथ पर्यावरण को भी प्रदूषित कर रहा है। गैस चूल्हे के कारण रसोई का काम जल्दी निपट जाता था, लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्र में बहुत अधिक संख्या में महिलाओं को परंपरागत चूल्हे पर काम करना पड़ रहा है। इन चूल्हों का चलन बढ़ने से प्रदूषण बढ़ेगा और पेड़ों की कटाई भी बढ़ेगी। सरकार द्वारा शुरू की उज्ज्वला योजना भी महंगाई के चलते गरीब के चूल्हे को रोशन करती नजर नहीं आ रही है। घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 900 रुपए होने के बाद गरीबों ने इससे किनारा कर लिया है। पिछले एक वर्ष में सिलेंडरों के दामों में करीब 300 रुपए का इजाफा हुआ है।
शहरी क्षेत्र में गैस सिलेंडरों की बिक्री पर 10 प्रतिशत फर्क पड़ा है। ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो वहां भी 20 से 25 प्रतिशत गैस की बिक्री कम हो गई है। महत्वपूर्ण है कि अप्रैल 2020 में सिलेंडर पर करीब 170 रुपए सब्सिडी थी, लेकिन अब यह घटकर सिर्फ 6 रुपए रह गई है। जिले में रोजाना करीब 2400 सिलेंडर की बिक्री कम हुई है।
कई बार बढ़े रेट : गैस सिलेंडरों के रेट वर्ष 2020 के सितंबर माह में दो बार बढ़े। फरवरी 2021 में तीन बार दाम बढ़ाए गए। 4 फरवरी, 2021 को 728 रुपए गैस का सिलेंडर 25 फरवरी को 803 रुपए का हो गया। इसी प्रकार अगस्त 2021 में फिर से दो बार सिलेंडरों के दामों में इजाफा किया गया। जो सिलेंडर एक अगस्त को 843 रुपए का था वो 15 अगस्त को 868 रुपए का हो गया। फिलहाल सितंबर में ये दाम बढ़कर 893 रुपए पहुंच गया है।
सरकार की पॉलिसी
कैथल के डीसी प्रदीप दहिया ने बताया कि सरकार की पॉलिसी जिले में उज्ज्वला योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त में रसोई गैस कनेक्शन दिए गए थे। गैस के रेट पेट्रोलियम कंपनियां बढ़ाती हैं। इसमें प्रशासन का रोल नहीं होता।
ग्रामीण क्षेत्रों में गिरी बिक्री
कैथल जिले में 16 ग्रामीण एजेंसियां और 4 शहरी गैस एजेंसी हैं। ग्रामीण क्षेत्र गुहणा में घरेलू गैस की एजेंसी चलाने वाले सुखदेव ने बताया कि गैस के निरंतर बढ़ रहे दामों की वजह से उनकी सप्लाई भी कम हुई है। पहले उनकी सेल प्रतिदिन 250-300 सिलेंडरों की थी, लेकिन अब दाम बढ़ने से सेल मुश्किल से 175 तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि वे एजेंसी के सिलेंडर आसपास के 15 किलोमीटर के एरिया में बेचते हैं। जब से सिलेंडर के दाम बढ़े हैं जिले में करीब 2400 सिलेंडर की बिक्री कम हुई है।
ऐसी योजना किस काम की
एक महिला ने बताया कि प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत उन्हें गैस सिलेंडर, चूल्हा, पाइप लाइन फ्री में दिया गया, लेकिन गैस के दाम इतने महंगे कर दिए कि वे उनके बजट से बाहर हो गए। सरकार की इस योजना से उन्हें उम्मीद थी कि शायद अब उन्हें रसोई के धुएं से छुट्टी मिलेगी, लेकिन अच्छे दिन जल्द ही खत्म हो गए। सिलेंडर के दाम ज्यादा होने से वो फिर से लकड़ियां जलाकर काम चला रही हैं। गांवों में उपलों की डिमांड भी बढ़ गई है।
घर के कोने में रख दिया सिलेंडर
सिलेंडर महंगा होने के कारण लम्बे समय से खाली पड़ा है। जिसे अब घर के एक कोने में रख दिया है। वहीं खाना अब लोहे के चूल्हे पर लकड़ी जलाकर बनाया जा रहा है। सुबह-शाम यही क्रम चलता है। पूरे दिन में चूल्हा दो बार जलाते हैं, जब खाना बनाना होता है। महिलाओं का कहना है कि चूल्हे में रोटी पकाने से पूरी रसोई में धुआं हो जाता है, जिस कारण उनकी आंखों पर काफी असर पड़ रहा है। सरकार को चाहिए कि सिलेंडर के रेट कम करे ताकि उनकी आंखें बच सकें।