दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 1 मार्च
हरियाणा के शहरी स्थानीय निकायों नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिका की आय बढ़ाने पर अब सरकार का जोर रहेगा। निकायों को स्वायतत्ता मिलेगी। इसी तरह से पंचायती राज संस्थाओं जिला परिषद, पंचायत समिति व ग्राम पंचायतों को भी सशक्त किया जाएगा। निकायों में तीन बड़े बदलाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे। खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस पूरे प्रोजेक्ट को देख रहे हैं। वे विभाग के आला अफसरों को भी इस बाबत दो-टूक हिदायतें दे चुके हैं।
दरअसल, प्रदेशभर में निकायों के पास हजारों करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी पड़ी है। इसमें से अधिकांश प्रॉपर्टी ऐसी है, जो किसी इस्तेमाल में नहीं ली जा रही। बहुत सी जगह जमीनों पर लोगों ने कब्जे किए हुए हैं। कहीं अधिकारियों तो कहीं राजनीति के चलते मामले दबे हुए हैं। वर्षों से चले आ रहे इस सिस्टम को अब बदला जाएगा। सूत्रों का कहना है कि सीएमओ के एक अधिकारी ने निकायों में बदलाव को लेकर तीन बिंदुओं पर सुझाव भी दिए थे। अब इन तीनों पर काम शुरू होगा।
उक्त अधिकारी के सुझाव के बाद ही सभी नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाओं से चल-अचल संपत्ति का रिकार्ड तलब किया गया। प्रॉपर्टी की मैपिंग के बाद अब पूरी डिटेल मुख्यालय पहुंच चुकी है। इनमें हर पालिका की चल-अचल सपंत्ति का ब्योरा है। इतना ही नहीं, किस शहर में किस जगह पर लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है और कोर्ट में उसका क्या स्टेटस है, इसकी जानकारी भी मुख्यालय को भेजी जा चुकी है। निकायों की जमीन को सरकार आय के स्रोत बढ़ाने के रूप में काम करेगी।
कई शहरों में निकायों की प्रॉपर्टी शहर के बीचों-बीच प्राइम लोकेशन पर है। ऐसी जमीन पर शॉपिंग कांप्लेक्स, मार्केट, कम्युनिटी सेंटर, मनोरंजन क्लब, पेट्रोल पंप आदि की स्थापना पर मंथन चल रहा है। निकायों की मासिक आय बढ़ाने पर जोर है ताकि उन्हें सरकार पर निर्भर न रहना पड़े। सीएमओ के अधिकारी ने निकायों में डबल एंट्री बुक कीपिंग का सुझाव भी दिया था। बड़ी बात यह है कि प्रदेश के 75 प्रतिशत निकायों में आज भी सिंगल एंट्री सिस्टम चल रहा है।
अकाउंट कैश बुक में लिखी गई जानकारी की एंट्री दो जगह करनी इसलिए भी जरूरी है कि रिकार्ड मिस-प्लेस होने या जलने पर दूसरे का इस्तेमाल किया जा सके। कई पालिकाओं ने हार्ड-डिस्क में डबल एंट्री की हुई है। डबल एंट्री लागू करने का दूसरा कारण यह भी था कि आय और खर्चों का अलग-अलग रिकार्ड मेनटेन हो सके। इस मामले में बरती गई लापरवाही पर सीएम खासे नाराज हैं। सरकारी जमीन पर कब्जों को लेकर निकाय अधिकारियों को कोर्ट में मजबूती से पैरवी करने को कहा है ताकि कब्जों को हटवाया जा सके।
कलानौर के पास सबसे ज्यादा जमीन
मुख्यालय पहुंचे रिकार्ड में खुलासा हुआ कि रोहतक जिला की कलानौर नगर पालिका ऐसी है, जिसके पास सर्वाधिक जमीन है। इसमें से 100 एकड़ से भी अधिक भूमि पर लोगों ने बरसों से कब्जा किया हुआ है। अब इस जमीन पर कालोनी कट चुकी हैं और लोग उनमें रह रहे हैं। सरकार के भी नियम हैं कि 33 साल से पुराने कब्जे को तोड़ा नहीं जा सकता। ऐसे मामलों में कोर्ट में केस करना होगा। निकाय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कई शहरों में सरकारी जमीन पर कब्जा है लेकिन राजनीतिक कारणों से कोर्ट में केस तक नहीं किए गए।
स्टेट लेवल पर बनेगी पॉलिसी
नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं को विज्ञापन पॉलिसी ने अच्छी आय होती है। अभी तक पालिकाओं द्वारा अपने हिसाब से टेंडर किए जाते रहे हैं लेकिन अब सरकार ने सभी को सिंगल टेंडर करने से रोक दिया है। स्टेट लेवल की पॉलिसी बनाई जा रही है। सेंट्रलाइज्ड विज्ञापन पॉलिसी बनेगी। शहर में मुख्य चौराहों, सड़कों, खंभों, सरकारी भवनों व सार्वजनिक स्थलों पर लगने वाले होर्डिंग, बैनर, पोस्टर, डिस्पले बोर्ड आदि के लिए विज्ञापन पॉलिसी बनेगी।
संविधान में हो चुका संशोधन
पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों को स्वायतत्ता देने के लिए संविधान में भी संशोधन हो चुका है। अधिकांश राज्यों में अभी भी निकायों व पंचायतों में खर्च होने वाले पैसे का पूरा कंट्रोल राज्य सरकारों के हाथों में है। पैसा कहां और किस प्रोजेक्ट पर खर्च होना है, इसका फैसला आमतौर पर सरकारें ही करती हैं। हरियाणा में यह अधिकार पंचायतों व निकायों को देने की पहल की है। निकाय व पंचायतें खुद फैसले तो लेंगी लेकिन उन्हें अपनी संपत्ति का सदुपयोग भी करना होगा।