ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 5 जुलाई
स्कूल में अनुशासन ही नहीं है, फिर बच्चे कैसे अच्छी शिक्षा ग्रहण करेंगे। शौचालयों में गंदगी है, स्कूल साफ नहीं है, क्या यही हैं हमारी स्कूल संस्कृति। ये बात उपायुक्त डॉ. संगीता तेतरवाल ने उस समय कही, जब उन्होंने शेरगढ़ के सरकारी स्कूल का औचक निरीक्षण किया।
इस अवसर पर डीसी ने कहा कि शिक्षक वर्ग का फर्ज है कि स्कूल में सफाई व्यवस्था बेहतर हो। पूरी व्यवस्था की समय-समय पर समीक्षा की जाए, लेकिन इस स्कूल में हालात ठीक नहीं हैं, जिसका जिम्मेदार स्कूल स्टाफ है। स्कूल की व्यवस्था से नाराज डीसी ने शिक्षकों को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसी व्यवस्था दोबारा नजर नहीं आनी चाहिए। मैं फिर से स्कूल का दौरा करूंगी और ऐसी व्यवस्था फिर से मिली तो संबंधित अधिकारी को सख्त कार्रवाई झेलनी पड़ेगी। इससे पहले औचक निरीक्षण के दौरान डीसी एक कक्षा में पहुंची, वहां पर टीजीटी राजेश संस्कृत विषय पढ़ाने की बात कर रहे थे, लेकिन बच्चों के हाथों में अलग-अलग विषयों की कापियां व किताबें थी। डीसी ने डीईओ को अध्यापक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिये।
ऐसे में तो बच्चे…. स्टेटिड को स्टुडेंट ही बोलेगा
स्कूल में एक बच्चा गेट के पास सिलेंडर लेने के लिए खड़ा था। डीसी ने बाहर खड़े बच्चे को कक्षा में बुलाकर बोर्ड पर लिखे इंग्लिश के शब्दों के बारे में पूछा तो वह स्टेटिड को स्टुडेंट बोलने लगा। इस पर डीसी बोलीं कि बच्चे को सिलेंडर के लिए बाहर खड़ा करेंगे तो वह ऐसा ही बोलेगा। डीसी ने अध्यापक को कड़ी फटकार लगाई और इस मामले को लेकर भी डीईओ को निर्देश दिए कि वे इस अध्यापक के खिलाफ भी आवश्यक कार्रवाई कर उन्हें रिपोर्ट करें।
‘क्या आपकी बेटियां ऐसे शौचालय में जाती है’
डीसी ने निरीक्षण के दौरान लड़कियों का शौचालय दिखाने की बात कही। डीसी शौचालय के पास पहुंची तो अंदर गंदगी देखकर इंचार्ज को कहा कि क्या आपकी बेटियां ऐसे शौचालय में जा सकती हैं, यदि नहीं तो स्कूल में ऐसे हालात क्यों हैं। शौचालय पूरी तरह से खराब थे और इस्तेमाल के लायक नहीं थे। इस पर डीसी ने डीईओ शमशेर सिंह सिरोही को स्कूल इंचार्ज के खिलाफ कार्रवाई करने और स्कूल का चार्ज किसी अन्य योग्य अध्यापक को देने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये।
बच्चों को कहा-ध्यान लगाकर करें पढ़ाई
डीसी डॉ. संगीता तेतरवाल ने 12वीं के छात्र-छात्राओं से संवाद किया और उनसे कुछ प्रश्न भी पूछे। उन्होंने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि मां-बाप अपना आराम कुर्बान करके बच्चों को स्कूलों में भेजते हैं और खुद खेती-बाड़ी व अन्य मेहनत का कार्य करते हैं। सभी बच्चे पढ़ाई में विशेष ध्यान लगाकर अपने और अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने का कार्य करें।