हरियाणा में कांग्रेस काे झटका, पूर्व मंत्री संपत सिंह का इस्तीफा
पत्र में उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस में अब निष्ठा का मूल्य नहीं रहा। यह पार्टी अब विचारधारा की नहीं, व्यक्तिवाद और परिवारवाद की कैद में है। उन्होंने कहा कि 2009 से अब तक कांग्रेस हरियाणा में लगातार हारती रही, पर जिम्मेदारी तय नहीं हुई। 15 साल की नाकामी के बाद भी वही चेहरे नेतृत्व में बने हुए हैं।
इस्तीफा ऐसे वक्त आया है, जब सोमवार को चंडीगढ़ में पार्टी की दो अहम बैठकें प्रस्तावित हैं। प्रो. संपत सिंह ने गुटबाजी का आरोप लगाते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में नारनौंद रैली में कुमारी सैलजा के साथ मंच साझा करना मुझे टिकट से वंचित कराने का कारण बना।
‘दलित नेतृत्व का अपमान, टिकटों की नीलामी’
संपत सिंह ने कांग्रेस नेतृत्व पर आरोप लगाया कि दलित नेताओं को अपमानित कर पार्टी ने खुद अपने जनाधार को कमजोर किया। कुमारी सैलजा के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणियां और वीडियो फैलाए गए, उनके समर्थकों के टिकट काटे गए। उन्होंने टिकट वितरण को धनबल और सिफारिश आधारित प्रक्रिया बताया। संपत सिंह ने यह भी कहा कि 2016 के राज्यसभा चुनाव से लेकर 2020 में ‘नेता पुत्र’ के राज्यसभा भेजे जाने तक हर कदम ने साबित कर दिया कि हरियाणा कांग्रेस अब परिवार केंद्रित पार्टी है। योग्य दलित या पिछड़े वर्ग के नेताओं की अनदेखी कर परिवारवाद को बढ़ावा दिया गया। उन्होंने यह भी लिखा कि रणदीप सुरजेवाला जैसे वरिष्ठ नेताओं को हरियाणा से बाहर भेजा गया, जबकि कमजोर नेतृत्व को यथावत रखा गया। संपत सिंह के अनुसार, भजनलाल से लेकर अशोक तंवर तक, कांग्रेस ने अपने सिपाही खुद निकाले।
अभय चौटाला के साथ साझा किया था मंच
गत 25 सितंबर को चौधरी देवीलाल जयंती पर रोहतक में आयोजित इनेलो की शक्ति प्रदर्शन रैली में प्रो. संपत सिंह ने अभय चौटाला के साथ मंच साझा किया था। तब से ही यह अटकलें तेज थीं कि वह जल्द कोई बड़ा फैसला लेंगे। अब कांग्रेस से इस्तीफे के बाद उनकी घर वापसी की संभावना मजबूत हो गई है।
