फरीदाबाद, 6 अगस्त (हप्र)
विजिलेंस ने 200 करोड़ रुपये के घोटाले में शनिवार को एक दिन के रिमांड के बाद वरिष्ठ लेखा अधिकारी हरगुलाल को अदालत में पेश किया। अदालत ने उसे जेल भेज दिया है। विजिलेंस ने दो दिन पहले हरगुलाल सहित आडिट शाखा के संयुक्त निदेशक दीपक थापर, वरिष्ठ लेखा अधिकारी विशाल कौशिक, वित्त नियंत्रक सतीश कुमार को गिरफ्तार किया था।
जांच में पता चला कि हरगुलाल के खाते में नगर निगम के ठेकेदार ओमबीर ने साल 2020 में एक करोड़ रुपये डाले थे। इन रुपयों के बारे में पूछताछ के लिए विजिलेंस ने हरगुलाल का एक दिन का रिमांड बढ़वाया था। रिमांड के दौरान विजिलेंस ने ठेकेदार ओमबीर को भी पूछताछ के लिए बुलाया। उसे हरगुलाल के सामने बैठाकर पूछताछ की गई। दोनों एक करोड़ रुपयों के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। ठेकेदार ने बताया कि हरगुलाल उसका अच्छा दोस्त है। इसलिए उसके खाते में एक करोड़ रुपये डाले थे। बाद में ये रुपये वापस ले लिए थे। रुपयों को वापस दिए जाने की कोई एंट्री विजिलेंस को नहीं मिली।
इन मुकदमों में नामजद हैं आरोपी
चारों आरोपी विजिलेंस के दो मुकदमाें में नामजद हैं। एक मुकदमे में 1.90 करोड़ का हेरफेर है। वहीं दूसरे मुकदमे में करीब पांच करोड़ रुपये के हेरफेर की बात सामने आई है। विजिलेंस का कहना है कि बिना आडिट और मौका मुआयना किए आरोपियों ने बिल पास कर दिए। इस तरह बिना काम किए ठेकेदार के खाते में रुपये पहुंच गए। इस मामले में विजिलेंस ठेकेदार सतबीर, निलंबित मुख्य अभियंता दौलतराम भास्कर और रमन शर्मा व जेई दीपक को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। सभी आरोपियों को अदालत से जमानत मिल चुकी है।
यह है मामला
यह घोटाला मई 2020 में उजागर हुआ था। फरीदाबाद नगर निगम के चार पार्षदों दीपक चौधरी, दीपक यादव, सुरेंद्र अग्रवाल, महेंद्र सरपंच ने तत्कालीन निगम आयुक्त को शिकायत दी थी कि निगम के लेखा विभाग ने ठेकेदार सतबीर की विभिन्न फर्मों को बिना काम किए भुगतान कर दिया है। निगम आयुक्त ने अपने स्तर पर मामले की जांच कराई। ठेकेदार को भुगतान में अनियमितताएं पाए जाने पर उन्होंने विजिलेंस से जांच की सिफारिश की।