विनोद जिन्दल/हप्र
कुरुक्षेत्र, 7 अप्रैल
हरियाणा सरकार के उच्चतर शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में चल रहे सेल्फ फाइनेंस पाठयक्रमों को बजटेड पाठ्यक्रमों में बदलने के निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों के लागू होने के बाद जहां हजारों विद्यार्थियों को लाभ होगा और उनका मान-सम्मान दूसरे विद्यार्थियों के बराबर होगा, वहीं हजारों कर्मचारियों तथा शिक्षकों को भी लाभ होगा। एसएफएस में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को जहां अलग से ज्यादा फीस देनी पड़ती है, वहीं एसएफएस में कार्यरत कर्मचारियों और शिक्षकों को रेगुलर लगे कर्मचारियों और शिक्षकों से वेतन तथा पेंशन के लाभ भी कम मिलते हैं। कुल मिलाकर एसएफएस किसी भी विश्वविद्यालय के बजट का हिस्सा नहीं है। लेकिन यदि अब उच्चतर शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय कार्रवाई करते हुए सरकार को भेजते हैं तो विद्यार्थियों और कर्मचारियों तथा शिक्षकों को पूरा लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
उच्चतर शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों को लिखे पत्र में निर्देश दिए हैं कि विश्वविद्यालय एसएफएस को बजट में अनुमोदित कर, इसका बजट बनाकर राज्य सरकार को भेजें। पत्र के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सहित अन्य सभी विश्वविद्यालयों में पहुंचते ही विश्वविद्यालय के सभी वर्गों में यह चर्चा है कि सरकार के इस निर्णय से, जहां एसएफएस और बजटेड कोर्स के नाम पर विद्यार्थियों के साथ हो रहे भेदभाव से मुक्ति मिलेगी, वहीं आर्थिक रूप से विश्वविद्यालयों के लिए एक लाइलाज बीमारी बन चुके एसएफएस पाठयक्रमों से भी मुक्ति मिलेगी। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के प्रधान विवेक गौड का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों का फायदा होने के साथ-साथ राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में भी बड़ा सुधार होगा।
उच्चतर शिक्षा विभाग ने 15 मार्च 2022 को राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति को पत्र लिखकर इस बारे में एक्शन टेकन रिपोर्ट विभाग को भेजने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने पत्र में कहा है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में विश्वविद्यालय रिव्यू कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने हरियाणा के विश्वविद्यालयों का दौरा कर अलग-अलग स्टेक होल्डर से बात की थी। कमेटी ने उच्चतर शिक्षा विभाग को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि व्यापक विमर्श के बाद समिति के अनुशंसा है कि जिन स्ववित्त पोषित पाठयक्रमों में पिछले पांच वर्षों में 70 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थियों ने दाखिला लिया है, उन्हें स्ववित्त पोषित वर्ग से निकालकर राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित वर्ग में डाला जाए और विश्वविद्यालय प्राप्त अनुदान से ही पाठ्यक्रमों का प्रबंधन करे। पत्र में यह भी लिखा है कि इन पाठ्यक्रमों के लिए राज्य बजट से अनुदान का अनुमोदन बनाते समय इन पाठ्यक्रमों में लगे अध्यापकों व कर्मचारियों को शामिल किया जाए।
कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी
कमेटी ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक कौंसिल व कार्यकारिणी परिषद इस संबंध में निर्णय लें व इसकी रिपोर्ट जल्द विभाग को भेजें। कमेटी ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि राज्य विश्वविद्यालयों में स्ववित्त पोषित नाम से चिन्हित पाठ्यक्रम पूरी तरह से समाप्त हों और सभी पाठयक्रमों का दायित्व विश्वविद्यालय में एक स्तर पर व एक समान हो। इसके साथ ही इन पाठ्यक्रमों का शुल्क क्या हो इस संबंध में अकादामिक परिषद व कार्यकारिणी परिषद स्वयं निर्णय लें। विभाग ने अपने मैमो नंबर 18/23-2022 दिनांक 15 मार्च 2022 में विश्वविद्यालयों से हरियाणा विश्वविद्यालय रिव्यू कमेटी की सिफारिशों पर फॉलोअप एक्शन रिपोर्ट मांगी है।
गैर शिक्षक कर्मियों ने भी किया स्वागत
कुटा के प्रधान विवेक गौड़ तथा सचिव जितेंद्र खटकड़ ने मांग की है कि विश्वविद्यालय सरकार के इस पत्र पर जल्द कार्रवाई करे। उन्होंने विश्वविद्यालयों को सलाह दी है कि वे दो तरह के पाठ्यक्रमों से होने वाली परेशानी से भी निजात पाएं। गैर शिक्षक कर्मचारियों ने भी सरकार के निर्णय पर खुशी जताई है।