दंपत्ति को देनी होगी सुरक्षा, पंचकूला डीसी-सीपी से मांगी रिपोर्ट
पंचकूला के 82 वर्षीय अर्जन देव अग्रवाल और उनकी 72 वर्षीय पत्नी विजय अग्रवाल की गंभीर शिकायत पर यह कार्रवाई आयोग ने की है। शिकायत में बुजुर्ग दंपति ने अपने बेटे और बहू द्वारा लगातार मानसिक उत्पीड़न, उपेक्षा और संपत्ति हड़पने के प्रयास का आरोप लगाया है। आयोग को दी जानकारी के अनुसार, वृद्ध दंपति गंभीर बीमारियों और शल्य चिकित्सा के बावजूद अपने ही घर में उपेक्षित जीवन जीने को मजबूर हैं।
बेटे और बहू ने उन्हें वृद्धाश्रम भेजने की धमकी दी और एक झूठा घरेलू हिंसा का केस भी दर्ज कराया। उन्होंने वरिष्ठ नागरिक अधिनियम-2007 के अंतर्गत वरिष्ठ नागरिक न्यायाधिकरण, पंचकूला में बेदखली के लिए आवेदन भी दिया है। लेकिन अब तक कोई राहत नहीं मिली। आयोग ने पाया कि अधिनियम की धारा-4 के तहत माता-पिता को अपने बच्चों से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है। धारा-23 के अनुसार, यदि संपत्ति देखभाल की शर्त पर दी गई है और देखभाल नहीं हो रही तो वह स्थानांतरण शून्य माना जा सकता है।
इसी तरह से धारा-24 के तहत माता-पिता को छोड़ देना एक दंडनीय अपराध है। मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस (सेवानिवृत्त) ललित बतरा ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि इस तरह का व्यवहार न केवल वरिष्ठ नागरिक अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत गरिमापूर्ण जीवन जीने के मौलिक अधिकार का भी घोर हनन है। उन्होंने इस गंभीर मामले में प्राथमिक रूप से वरिष्ठ नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार, उपेक्षा और जबरदस्ती के प्रमाण मानते हुए पंचकूला डीसी को निर्देश दिए हैं। आयोग ने स्थानीय पुलिस या संबंधित अधिकारियों के माध्यम से वृद्ध दंपति को तुरंत सुरक्षा प्रदान करने को कहा है। साथ ही, वरिष्ठ नागरिक न्यायाधिकरण में लंबित कार्यवाही को शीघ्र पूरा करने के लिए प्रशासनिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई से पूर्व कार्यवाही रिपोर्ट आयोग के सामने पेश करनी होगी। आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना व जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर पुनीत अरोड़ा ने बताया ने अगली सुनवाई की 23 सितंबर को होगी। आदेश की पंचकूला डीसी और पुलिस आयुक्त को भेजी है।