पंचकूला, 7 जुलाई (हप्र)
हरियाणा फार्मेसी काउंसिल में भ्रष्टाचार मामले में विजिलेंस ब्यूरो की सर्च बुधवार देर रात तक चली,
करीब 18 घंटे तक चली सर्च में विजिलेंस टीम ने काउंसिल का रिकार्ड जब्त किया है।
काउंसिल के पंचकूला स्थित कार्यालय में मंगलवार और बुधवार रात तक चली सर्च में लगभग 500 फाइलों का रिकार्ड विजिलेंस टीम अपने साथ लेकर गई है। बताया जा रहा है कि काउंसिल के उपप्रधान सोहन लाल कंसल जिनसे सभी अधिकार वापस ले लिए गए हैं, ने इन फाइलों के बारे में विजिलेंस को जानकारी दी। इन फाइलों पर धनेश अदलखा और राजकुमार वर्मा ने हस्ताक्षर कर रुपयों का लेनदेन किया। बताया गया है कि काउंसिल कर्मचारियों ने विजिलेंस के सामने धनेश अदलखा और सोहन लाल कंसल की कार्यप्रणाली की जानकारी दी है।
कर्मचारियों ने विजिलेंस को बताया है कि हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में पिछले कई वर्षों से भ्रष्टाचार पूरे चरम पर था, लेकिन धनेश अदलखा के चेयरमैन बनने के बाद यह और बढ़ गया था। रोजाना कोई न कोई आवेदक अपनी फाइलों के लिए लड़ झगड़ कर जाता था। फाइलें कई महीनों तक डील करने के लिए निर्देश नहीं दिए जाते थे। बाहरी राज्यों से 12वीं या फार्मेसी करने वालों से रुपयों की मांग होती थी। आवेदकों को डराया धमकाया जाता था। चेयरमैन धनेश अदलखा मुख्यमंत्री का नाम लेकर बाहरी राज्यों से रजिस्ट्रेशन करने वालों को केस दर्ज करवाने की धमकी देकर डराते थे। आवेदक डर जाते थे, तो शायद इसलिए वह सेटिंग करने के लिए मजबूर हो जाते थे। धनेश अदलखा फार्मेसी काउंसिल के कर्मचारियों और सदस्यों के सामने धमकाते थे, ताकि सदस्यों और कर्मचारियों को पता चल सके कि आवेदक ने दूसरे राज्य से फार्मेसी की है।
दलाल कहते थे- हम मना लेंगे
विभागीय सूत्रों के अनुसार काउंसिल के दलाल उस आवेदक से सेटिंग करने में जुट जाते थे, जिसे धनेश अदलखा डराकर भेजते थे। कई आवेदकों ने बताया है कि जैसे ही वह धनेश अदलखा के कमरे से बाहर निकलते थे, तो काउंसिल दफ्तर के नीचे आकर कोई न कोई उन्हें कहता था कि हम धनेश अदलखा को मना लेंगे, तुम्हारा रजिस्ट्रेशन करवा दिया जाएगा, लेकिन उसके लिए तुम्हें खर्चा देना पड़ेगा। इस तरह भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया। ऐसे सैकड़ों उदाहरण मौजूद हैं, जिसमें धनेश अदलखा के आदेश के कारण पहले काफी समय तक फाइलें डील नहीं हुई और उसके बाद एक ही दिन में उन फाइलों को निकाल दिया गया।
विजिलेंस गहन जांच में जुटी
मामले में धनेश अदलखा, सोहन लाल कंसल, राजकुमार वर्मा और दलाल सुभाष अरोड़ा के खिलाफ शिकायत करने वाले सत्यवान और राजेश कौशिक ने इस संबंध में विजिलेंस को जानकारी दी। जिसके बाद हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में व्यापक स्तर पर फैले भ्रष्टाचार का खुलासा हो पाया। मामले की गंभीरता को देखते हुए विजिलेंस ने उच्च अधिकारियों से परमिशन लेकर धनेश अदलखा, सोहनलाल कंसल और राजकुमार वर्मा के अलावा दलाल सुभाष अरोड़ा पर केस दर्ज किया था। केस में 2 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, लेकिन धनेश अदलखा और राजकुमार वर्मा पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। इन दोनों की गिरफ्तारी सबसे अहम है, क्योंकि धनेश अदलखा गिरफ्तार होंगे, तो रिकवरी होनी है। उनके पास से रिश्वत के लाखों रुपये की रिकवरी होने से काफी खुलासे होंगे। इस बीच हरियाणा के फार्मासिस्ट राजेश कौशिक और सत्यवान की कार्रवाई की प्रशंसा कर रहे हैं। साथ ही उनकी सरकार से मांग है कि ऐसे भ्रष्टाचारियों को किसी भी बोर्ड और काउंसिल में न बैठाया जाए, यदि कोई लग भी गया है, तो उसके खिलाफ शिकायत आने पर तुरंत जांच करवाई जानी चाहिए। फार्मासिस्ट योगेश कुमार, पुनीत शर्मा, राहुल अरोड़ा, अविनाश पांडेय, देवेंद्र गोयल, प्रिंयका गोयल ने कहा कि धनेश अदलखा और सोहनलाल कंसल के कारण सैकड़ों ही फार्मासिस्ट नौकरी लगने से रह गए, क्योंकि इन दोनों ने उन विद्यार्थियों की रजिस्ट्रेशन नहीं की, जो किसी कारणवश इनको रिश्वत नहीं दे पाए।