देशव्यापी विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत 65 हजार गांवों का दौरा करेंगे वैज्ञानिक
रमेश सरोए/ हप्र
करनाल, 24 मई
आईसीएआर संस्थानों के वैज्ञानिक देशव्यापी विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत देश के करीब 65 हजार गांवों का दौरा करेंगे। अभियान की शुरूआत 29 मई से होगी। आईसीएआर द्वारा हरियाणा के लिए नोडल अधिकारी के रूप में आईसीएआर-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डॉ. धीर सिंह को नामित किया है। केंद्रीय सरकार द्वारा 12 जून तक चलाए जाने वाले अभियान के व्यापक उदेश्य हैं, जो कृषि क्षेत्र में आमूल चूल परिवर्तन लाने वाले साबित होंगे।
आईसीएआर-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डॉ. धीर सिंह ने बताया कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 29 मई से 12 जून 2025 तक देशव्यापी विकसित कृषि संकल्प अभियान का शुभारंभ किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के विजन से प्रेरित इस अभियान का उद्देश्य उन्नत कृषि, आधुनिक कृषि तकनीकों और किसानों की समृद्धि की नींव रखना है। इसका प्राथमिक मिशन भारत के 1.45 अरब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना, किसानों की आय में वृद्धि करना और भावी पीढय़िों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है। डॉ. धीर सिंह ने कहा कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मंत्रालय ने एक व्यापक छह सूत्री रणनीति की रूपरेखा तैयार की है। इस पहल के तहत 113 आईसीएआर संस्थानों के वैज्ञानिक, 2,170 विशेषज्ञ दल, जिनमें प्रत्येक दल में प्रतिदिन कम से कम तीन वैज्ञानिक होंगे, 29 मई से 12 जून के बीच 723 जिलों के 65,000 से अधिक गांवों का दौरा करेंगे।
यह अनूठी पहल दोतरफा जुड़ाव के रूप में तैयार की गई : डॉ. मीना
उन्होंने आगे कहा कि अभियान के तहत विशेषज्ञ दल में कृषि विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों, सरकारी विभागों, नवोन्मेषी किसानों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के सदस्य शामिल होंगे, जो कई गांवों का दौरा करेंगे। करनाल में कार्यक्रम का समन्वय कर रहे कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक, विस्तार एवं प्रभारी डॉ. बीएस मीना ने कहा कि यह अनूठी पहल दोतरफा जुड़ाव के रूप में तैयार की गई है, जिसमें किसानों को अपनी चुनौतियां साझा करने, प्रश्न पूछने और क्षेत्र के मुद्दों की रिपोर्ट करने का अवसर मिलेगा, जिससे भविष्य के शोध और नीति दिशाओं को आकार देने में मदद मिलेगी।