चंडीगढ़, 3 जनवरी (ट्रिन्यू)
कोरोना की तीसरी लहर और नये वेरिएंट ओमीक्रोन के खतरे को देखते हुए स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे, लेकिन इस दौरान शिक्षकों को ड्यूटी पर आना होगा। प्रदेश में स्कूल-कॉलेज, पॉलीटेक्निक, आईटीआई, आंगनवाड़ी केंद्र 12 जनवरी तक बंद करने का फैसला लिया गया है, लेकिन शिक्षकों को स्कूल-कॉलेज में आने के आदेश जारी किए हैं।
सरकार के इस फैसले से शिक्षकों में नाराज़गी है। उनका तर्क है कि संक्रमण का खतरा, उन्हें भी उतना ही है, जितना विद्यार्थियों व प्रदेश के दूसरे लोगों को है। कोरोना के अधिक मामलों वाले जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, अम्बाला व पंचकूला में तो सरकारी व प्राइवेट दफ्तरों में भी पचास प्रतिशत स्टाफ को ही बुलाने के आदेश दिए हैं। मगर स्कूल-कॉलेजों में सभी शिक्षकों को आना होगा। कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (सीटीए) और हरियाणा कॉलेज नॉन-टीचिंग यूनियन ने सरकार के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा है कि जब विद्यार्थी ही स्कूल में नहीं होंगे तो वे भी आकर क्या करेंगे। कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान जिस तरह से उन्होंने घर से ही विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाया था, वे अब भी ऐसा ही करने को तैयार हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ़ राजबीर सिंह का कहना है कि स्कूलों में स्टॉफ के आने से संक्रमण का खतरा और बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर कोरोना गाइड लाइन को आंशिक रूप से लागू किया जाता है तो शिक्षकों के संक्रमित होने का खतरा बना रहेगा।
पिछले साल घर से किया था काम
यूनियन उपाध्यक्ष विजेंद्र कादियान ने कहा कि पिछले साल भी सरकार ने कॉलेज स्टाफ को घर से ही काम करने की इजाजत दी थी। अब अगर वे कॉलेज आएंगे और कोई शिक्षक संक्रमित होता है तो उसके प्रभाव में आने से पूरे परिवार के चपेट में आने का डर लगा रहेगा। उनका कहना है कि शिक्षक रोडवेज बसों में सफर करते हैं तो बसों में काफी भीड़ होने से संक्रमण का डर और बढ़ गया है।