हरियाणा में 3 दिन तक स्कीम वर्कर्स का ‘घेराव अभियान’, केंद्रीय मंत्रियों-सांसदों के कार्यालयों के बाहर उभरेगा उबाल
हरियाणा में स्कीम वर्कर्स का गुस्सा इस बार सड़कों पर नहीं, बल्कि सीधे केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा सांसदों के कार्यालयों के बाहर उभरेगा। छह से आठ दिसंबर तक चलने वाला यह 3 दिवसीय विरोध अभियान राज्य में नई राजनीतिक और सामाजिक हलचल पैदा करने वाला है।
केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने वाले आंगनबाड़ी, आशा और मिड डे मील कर्मचारी अपने अधिकारों की लड़ाई को निर्णायक मोड़ देने की तैयारी कर चुके हैं। आंदोलन की घोषणा आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन की राज्य महासचिव उर्मिला रावत, आशा वर्कर्स यूनियन की राज्य प्रधान सुनीता और मिड डे मील वर्कर्स यूनियन हरियाणा के राज्य महासचिव जय भगवान ने की।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर प्रदेशभर में क्षेत्रीय स्तर पर क्रमबद्ध प्रदर्शन, पड़ाव और ज्ञापन सौंपने के कार्यक्रम आयोजित होंगे। छह दिसंबर को आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स, सात दिसंबर को मिड डे मील कर्मचारी और आठ दिसंबर को आशा वर्कर्स अपने-अपने जिलों के निर्धारित स्थानों पर प्रदर्शन करेंगी। करनाल में केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यालय के बाहर सोनीपत, पानीपत, करनाल, जींद, कैथल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला और पंचकूला जिलों की वर्कर्स जुटेंगी।
केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुज्जर के फरीदाबाद कार्यालय पर गुरुग्राम, नूंह, पलवल और फरीदाबाद जिलों के कर्मचारी अपनी आवाज बुलंद करेंगे। हिसार में मंत्री रणबीर गंगवा के कार्यालय पर सिरसा, फतेहाबाद और हिसार जिलों की वर्कर्स एकजुट होंगी, जबकि भिवानी में कैबिनेट मंत्री श्रुति चौधरी और सांसद धर्मबीर सिंह के कार्यालयों के बाहर रेवाड़ी, झज्जर, महेंद्रगढ़, रोहतक और भिवानी की स्कीम वर्कर्स प्रदर्शन करेंगी।
कर्मचारी यूनियन नेताओं ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें करीब एक करोड़ स्कीम वर्कर्स की उपेक्षा कर रही हैं। लंबे समय से मानदेय में बढ़ोतरी नहीं की गई है, जबकि काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है। उनकी प्रमुख मांगों में - आंगनबाड़ी और आशा वर्कर्स को तीसरे दर्जे का सरकारी कर्मचारी और मिड डे मील वर्कर्स को चौथे दर्जे का कर्मचारी घोषित करना, न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये मासिक, ग्रेच्युटी, पेंशन और सभी सामाजिक सुरक्षा लाभ शामिल हैं।
