आईपीएस पूरन कुमार की आत्महत्या पर सख्त हुआ एससी आयोग
नोट में यह भी उल्लेख है कि उन्हें यह सब वरिष्ठ अफसरों की मिलीभगत और दिशा-निर्देश में झेलना पड़ा। आयोग ने कहा कि यदि यह तथ्य जांच में सही पाए जाते हैं, तो यह एससी-एसटी एक्ट, 1989 का स्पष्ट उल्लंघन होगा। इस मामले ने और तूल तब पकड़ा जब दिवंगत अधिकारी की आईएएस पत्नी अमनीत पी. कुमार ने सनसनीखेज आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनके पति को जानबूझकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और कुछ अधिकारियों ने उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया।
आयोग ने इसे ‘अत्याचार और षड्यंत्र’ का गंभीर मामला बताते हुए जांच की दिशा बदलने के संकेत दिए हैं। आयोग ने इस मामले में दर्ज एफआईआर और एसआईटी के गठन से लेकर हर पहलू के बारे में जानकारी मांगी है। एफआईआर किन धाराओं और किन लोगों के खिलाफ दर्ज की गई। क्या आरोपित अधिकारियों को नामजद या गिरफ्तार किया गया है। क्या जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की है। जांच में देरी के कारण को लेकर भी सवाल किया है।
एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में ढिलाई पर सख्त रोक
हरियाणा एससी आयोग ने कहा है कि इस मामले में एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2)(v) सहित सभी प्रासंगिक धाराओं को पूरी कठोरता से लागू किया जाए। आयोग ने आदेश दिया है कि जांच रिपोर्ट हर 15 दिन में आयोग को भेजी जाए, ताकि कोई भी पहलू दबाया न जा सके। आयोग ने चेतावनी दी है कि यदि सात दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट नहीं मिली या जवाब असंतोषजनक हुआ, तो एचएसएससीसी एक्ट, 2018 की धारा 9 के तहत संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया जाएगा। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह इस मामले को उदाहरण के तौर पर मिसाल बनाएगा, ताकि भविष्य में किसी अनुसूचित जाति अधिकारी के साथ इस तरह का व्यवहार दोहराया न जा सके।
