सुरेंद्र सिंह सांगवान/ट्रिन्यू
पंचकूला, 21 जनवरी
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि आदिबद्री डैम के निर्माण से वर्षों पहले विलुप्त हुई सरस्वती नदी का पुनरुद्धार होगा। आदिकाल से पूजनीय सरस्वती नदी के प्रवाह स्थल के आसपास धार्मिक मान्यताएं पुनः जागृत होंगी और यह क्षेत्र तीर्थाटन के रूप में भी विकसित होगा। उन्होंने कहा कि मोरनी क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से विकसित हो चुका है। इस क्षेत्र के नजदीक बहने वाली नदी पर छोटा डैम बनाकर पानी की समस्या को दूर किया जाएगा। शिवालिक रेंज में 11 और छोटे बांधों का निर्माण किया जाएगा। इसके लिये सेंट्रल वाटर कमीशन को लिखा गया है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर यहां पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ आदिबद्री में डैम के निर्माण से संबंधित समझौता ज्ञापन (एमओयू) समारोह के दौरान बोल रहे थे। इस दौरान हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल व हिमाचल के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने दोनों मुख्य मंत्रियों की मौजूदगी में में डैम निर्माण के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। हरियाणा के सीएम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के साथ मिलकर कई परियोजनाओं पर काम किया जाएगा, जिसमें हथिनीकुंड बैराज पर डैम बनाया जाना भी शामिल है। इस डैम से बिजली उत्पादन के साथ-साथ यमुना नदी में भी साफ पानी का निरंतर प्रवाह संभव हो सकेगा। इस डैम में पहाड़ों से हथनीकुंड बैराज पर आने वाले पानी को संचित किया जाएगा जिससे फसलों को बाढ़ जैसी स्थिति से भी बचाया जा सकेगा। इस डैम के लिए एनओसी मांगी गई है, जल्द सर्वे का काम शुरू होगा। इस मौके पर स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, सांसद रतन लाल कटारिया, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डीएस ढेसी, केंद्रीय जल मिशन के अध्यक्ष आरके सिन्हा, हरियाणा सरस्वती हैरिटेज बोर्ड के एडवाइजर अमित झा, एसीएस अनुराग रस्तोगी, हिमाचल तथा हरियाणा के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
जल्द होगा आदिबद्री डैम का शिलान्यास : जयराम
हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि आदिबद्री डैम दोनों प्रदेशों के लिए सिंचाई व पीने के पानी की आवश्यकता को पूरा करेगा। सरस्वती नदी में जल के प्रवाह से धार्मिक व पर्यटन के दृष्टि से यह क्षेत्र विकसित होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई बार कार्यक्रमों में सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के संबंध में इच्छा व्यक्त की है। प्रधानमंत्री का देश की नदियों को जोड़ने का भी एक महत्वपूर्ण विजन रहा है। इसी कड़ी में आज हरियाणा व हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच आदिबद्री डैम को लेकर एमओयू हुआ है। इस डैम से जुड़े जमीन मालिकों को उचित मुआवजे की व्यवस्था की जाएगी। आने वाले दिनों में इस परियोजना से जुड़ी सभी औपचारिकता पूरी करके इस डैम का शिलान्यास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुल प्रस्तावित क्षेत्र में से 31.16 हेक्टेयर भूमि हिमाचल प्रदेश की है जिसमें से 0.67 हेक्टेयर निजी भूमि और 30.49 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सोंब नदी से बांध को 224 हेक्टेयर मीटर में जल की आपूर्ति होगी जो यमुना नगर जिले में आदिबद्री के समीप यमुना में मिलती है।
35 साल पुराना सपना हुआ साकार : खट्टर
सीएम खट्टर ने कहा कि आज उनका 35 साल पुराना सपना साकार हुआ है। उन्होंने वर्ष 1986-87 में सरस्वती के पुनरुद्धार के संबंध में हो रहे अनुसंधान से संबंधित यात्रा की थी। आदिबद्री डैम बनने से 20 क्यूसेक पानी निरंतर सरस्वती नदी में प्रवाहित होगा। इससे पूरा वर्ष सरस्वती में पानी का प्रवाह रहेगा। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के प्रवाह के संबंध में न केवल धार्मिक मान्यता है बल्कि सेटेलाइट से स्पष्ट हुआ है कि जमीन के अंदर आज भी इसका प्रवाह है। सरस्वती नदी पर शोध के संबंध में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पीठ की स्थापना कर रखी है। हरियाणा सरस्वती हैरिटेज डेवलेपमेंट बोर्ड की स्थापना की गई है। हरियाणा सरकार ने आदिबद्री से कैथल होते हुए घग्गर नदी तक 200 किलोमीटर दूरी के क्षेत्र को सरस्वती नदी के लिए अधिसूचित किया है। राजस्व रिकार्ड में भी इसका जिक्र है। हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने कहा कि आदिबद्री में डैम बनाया जाना बेहद गौरव की बात है। वेदों की रचना इसी नदी के किनारे हुई थी। किसी कारणवश यह नदी विलुप्त हो गई थी।
हिमाचल की 31.16 हैक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा डैम
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह डैम हिमाचल प्रदेश क्षेत्र के 31.66 हैक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा। इस पर 215.33 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसमें हर वर्ष 224.58 हैक्टेयर मीटर पानी का भंडारण होगा। इसका 61.88 हैक्टेयर मीटर पानी हिमाचल प्रदेश को तथा बाकी करीब 162 हैक्टेयर मीटर पानी हरियाणा को मिलेगा। इस पानी को सरस्वती नदी में प्रवाहित किया जाएगा। इस डैम की चौड़ाई 101.06 मीटर तथा ऊंचाई 20.5 मीटर होगी। डैम से 20 क्यूसेक पानी सालभर सरस्वती नदी में प्रवाहित होगा।
बाढ़ से निपटने में हाेंगे कारगर
इस प्रोजेक्ट का मकसद सरस्वती नदी के पुनरूद्धार के साथ-साथ भूमिगत जल स्तर को बढ़ाना है। डैम के शुरू होने से बारिश के दिनों में अत्यधिक वर्षा से पैदा होने वाली बाढ़ की स्थिति से भी निपटा जा सकेगा। इसके नजदीक बनने वाली झील से पर्यटन बढ़ेगा। डैम बनने से इसके आसपास का क्षेत्र तीर्थाटन के रूप में भी विकसित होगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से कालका से कलेसर तक का क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में आदिबद्री, लोहागढ़, कपालमोचन, माता मंत्रादेवी सहित अनेक धार्मिक व पर्यटनस्थल आते हैं।