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सरस्वती नदी वेदों में ही नहीं धरातल पर भी मौजूद : भारत भूषण भारती

कुवि में सरस्वती नदी पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

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कुरुक्षेत्र में दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का शुभारंभ करते मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती तथा अन्य। -हप्र
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कुरुक्षेत्र, 25 जून (हप्र)

सरस्वती नदी वेदों में ही नहीं बल्कि धरातल में भी मौजूद है तथा वैज्ञानिक आधार पर भी सरस्वती के मौजूद होने के प्रमाण मिल चुके हैं। सरस्वती विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना हमारा नैतिक दायित्व है। भारतीय वैदिक संस्कृति का विकास इसी नदी के आसपास हुआ था।

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इसलिए इस नदी को खोजना भारतीय सांस्कृतिक विरासत को खोजना है। भारत को जानने के लिए व खुद को जानने के लिए सरस्वती को जानना जरूरी है।

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ये विचार हरियाणा के मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती ने मंगलवार को सीनेट हॉल में हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी पंचकूला व कुवि के सरस्वती नदी उत्कृष्ट शोध केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में ‘एक थी नदी सरस्वती’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए व्यक्त किये। दीप प्रज्वलन के साथ संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया।

केयू स्थित सरस्वती नदी उत्कृष्ट शोध केन्द्र के निदेशक व छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चैधरी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया व केन्द्र की गतिविधियों के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी की खोज यात्रा वर्ष 2002 में दर्शन लाल जैन तथा मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती तथा उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच के प्रयासों से शुरू हुई थी।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि पौराणिक मान्यताएं बिल्कुल सही हैं। सांस्कृतिक व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सरस्वती नदी के जीवित होने के प्रमाण व साक्ष्य मिलते हैं। सरस्वती के विकास से ही हम अपनी विरासत पर गर्व कर सकते हैं। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी पंचकूला के कार्यकारी उपाध्यक्ष कुलदीप अग्निहोत्री ने कहा कि सरस्वती नदी लोक साहित्य में कभी भी लुप्त नहीं हुई है।

कुछ इतिहासकारों की दृष्टि में सरस्वती मिथ है। हरियाणा सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा सरस्वती के जीर्णोद्धार को लेकर सरस्वती बोर्ड का गठन किया गया।

हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी के मार्गदर्शन में अब वह दिन दूर नहीं जब 12 महीने सरस्वती नदी में पानी चलेगा।

सरस्वती नदी का अपना आध्यात्मिक व सांस्कृतिक महत्व है। यह आस्था का केन्द्र हैं। वर्तमान में सरस्वती नदी का जल प्रवाह 380 किमी तक बढ़ चुका है। मंच का संचालन प्रो. सीडीएस कौशल ने किया।

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