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रेत खनन बिन प्लेट के डंपर बने खौफ के मंजर

इन्द्री के नबियाबाद में गांवों के बीचोंबीच बनाया रास्ता
इन्द्री के गांव नबियाबाद की रेत की खदान से रेत ले जा रहा बिना नंबर का वाहन। - निस
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गुंजन कैहरबा/निस

इन्द्री, 25 जुलाई

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यमुना के साथ लगते गांव नबियाबाद में खुली रेत की खान कई गांवों के लोगों के लिए जी का जंजाल बन गई है। रेत ढोने में लगे अधिकतर डंपर व ट्रक बिना नंबर वाले होते हैं, जो नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए दुर्घटनाओं का सबब बन रहे हैं। गांवों के बीचों-बीच गुजरने वाले डंपरों से लोगों को अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। जो बच्चे पहले स्कूलों में खुद चले जाते थे अब उनके माता-पिता को उन्हें स्कूलों में छोड़ना पड़ रहा है। स्थिति की विकरालता को लेकर यमुना के साथ लगते गांवों के लोगों में रोष व्याप्त है।

ग्रामीण रजा अब्बास, सौकत अब्बास, बलविन्द्र सिंह, मोहम्मद रजा, कलबे हैदर, मोहम्मद असगर, मोहम्मद जाफिल ने बताया कि जब नबियाबाद की रेत की खान खुली थी तो प्रशासन द्वारा लोगों को आश्वस्त किया गया था कि रेत ले जाने वाले वाहनों का रास्ता अलग बनाया जाएगा। वाहन गांवों के बीच से नहीं निकलेंगे। लेकिन आज नियमों की धज्जियां उड़ाते ओवरलोडेड वाहन नबियाबाद, जपती छपरा, सैयद छपरा सहित अनेक गांवों के बीच से निकल रहे हैं। इन वाहनों को देखकर खेतों में जाते किसानों, काम-काज के लिए दूसरे गांवों में जाते लोगों को डर लगता है। ये वाहन किसी को टक्कर भी मार दें तो उसका शायद ही पता चले क्योंकि 90 प्रतिशत वाहनों पर नंबर प्लेट होती ही नहीं।

समाजसेवी शमीम अब्बास, रजा अब्बास, जसबीर सिंह ने बताया कि मुख्यत: जिस रास्ते से ट्रक-डंपर गुजरते हैं, उस रास्ते में गांव नबियाबाद में कोई सरकारी स्कूल नहीं है। गांव जपती छपरा में राजकीय प्राथमिक स्कूल है और सैयद छपरा, नागल व रंदौली में माध्यमिक स्कूल हैं। ऐसे में बच्चे पढ़ने के लिए ब्याना, कलसौरा, बदरपुर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में जाते हैं। निजी स्कूलों की बसों का भी इन मार्गों से गुजरना होता है। इन ट्रक-डंपर से अभिभावक खौफजदा हैं।

क्या कहते हैं विधायक

विधायक रामकुमार कश्यप का कहना है कि ठेकेदार व वाहन चालकों की मनमानी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वह अधिकारियों से स्थिति रिपोर्ट लेंगे और खनन संचालकों व ठेकेदारों को सख्त निर्देश दिए जाएंगे कि वे नियमों का पालन करें। उन्होंने कहा कि परियोजना शुरू होने से पहले लोगों के साथ प्रशासन द्वारा किए गए वादों को शीघ्र पूरा करवाने का प्रयास किया जाएगा।

इधर सरपंच बोले

सरपंच सबील हैदर का कहना है कि रेत ढो रहे वाहनों के लिए गांवों से हटाकर अलग रास्ता निकालना चाहिए। गांवों के बीचों-बीच ओवरलोडेड वाहनों का चलना किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं है। वाहनों की गति भी निश्चित की जानी चाहिए। 20-25 से अधिक स्पीड पर रेत के वाहनों का चलाया जाना लोगों की जान को जोखिम में डालना है।

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