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‘गवाहों’ की सुरक्षा सुनिश्चित, आरोपी से नहीं होगा आमना-सामना

पहचान गुप्त रखेगी सरकार, कैमरे में की जाएगी गवाहों की सुनवाई
मुख्यमंत्री नायब सैनी।
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चंडीगढ़, 20 फरवरी (ट्रिन्यू)हरियाणा की नायब सरकार ने तीन नये कानूनों को लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। क्राइम के मामलों में गवाहों की ‘सुरक्षा’ की ‘गारंटी’ अब सरकार की होगी। इसके लिए नायब सरकार ने ‘हरियाणा साक्षी संरक्षण योजना-2025’ शुरू की है। प्रदेश की होम सेक्रेटरी डॉ़ सुमिता मिश्रा ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह योजना मृत्यु या आजीवन कारावास, सात वर्ष या उससे अधिक के कारावास के मामलों पर लागू होगी।

इतना ही नहीं, भारतीय न्याय संहिता-2023 की धारा 74, 75, 76, 77, 78 और 79 के साथ-साथ लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012 की धारा 8, 10, 12, 14 और 15 के अधीन दंडनीय मामलों से जुड़े गवाहों पर भी यह योजना लागू होगी। योजना के तहत धमकी की आशंका के आधार पर गवाहों को तीन श्रेणियों (कैटेगरी) में बांटा है। ‘ए’ कैटेगरी में उन मामलों को शामिल किया है, जहां जांच व परीक्षण के दौरान या इसके बाद गवाह या उनके परिवार के सदस्यों को खतरा हो।

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वहीं ‘बी’ कैटेगरी में ये मामले आएंगे जिनमें गवाह या उसके परिवार के सदस्यों के अलावा अन्य व्यक्तियों की सुरक्षा, प्रतिष्ठा या संपत्ति का खतरा हो। इसी तरह ‘सी’ कैटेगरी में वे मामले आएंगे, जिनमें धमकी मध्यम है। जांच या परीक्षण के दौरान या उसके बाद गवाह या उसके पारिवारिक सदस्यों का शोषण, उत्पीड़न, प्रतिष्ठा या संपत्ति प्रभावित होने का डर हो। नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया है कि जांच या सुनवाई के दौरान गवाह और आरोपी आमने-सामने नहीं आएंगे।

गश्त के साथ सिक्योरिटी भी जरूरी

साक्षी संरक्षण योजना के तहत गवाहों के ईमेल व टेलीफोन कॉल की निगरानी करनी होगी। टेलीफोन नंबर से लोकेशन ट्रेस होने के खतरे को देखते हुए गवाह का टेलीफोन नंबर बदलने या कोई अनलिस्टेड नंबर देने के लिए टेलीफोन कंपनियों के साथ टाईअप करने का काम भी सरकार का होगा। गवाह के साथ-साथ उसके परिवार के सदस्य और साक्षी के करीबी व्यक्तियों (जिन्हें खतरा हो) को घर और कार्यस्थल पर सुरक्षा उपकरण मुहैया करवाए जाएंगे। इनमें दरवाजे, सीसीटीवी, अलार्म, बाड़ आदि लगाना शामिल है। जरूरत पड़ने पर गवाह को व्यक्ति सुरक्षा, अंगरक्षक और पीसीआर वैन की नियमित गश्त का प्रबंध करना होगा।

बदलना पड़ सकता है ठिकाना

गवाह को खतरा होने की स्थिति में पुलिस अस्थाई रूप से उसके निवास स्थान को बदलेगी। नया ठिकाना किसी रिश्तेदार का घर या नजदीकी कस्बे/नगर में हो सकता है। कोर्ट में आने-आने और सुनवाई की तिथि के लिए सरकारी वाहन का प्रबंध करना होगा। बंद कमरे में ही सुनवाई होगी। इतना ही नहीं, गवाह के निवास स्थान या अन्य किसी भी सुरक्षित जगह पर ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बयान की रिकार्डिंग का प्रबंध करना हेागा। गवाह की पहचान गुप्त रखनी होगी।

हर जिले में साक्षी संरक्षण सेल

योजना के तहत प्रत्येक जिले में साक्षी संरक्षण सेल का गठन किया जाएगा। इसकी अध्यक्षता संबंधित जिला के पुलिस उपायुक्त या पुलिस अधीक्षक करेंगे। साक्षी संरक्षण सेल की प्राथमिक जिम्मेदारी सक्षम प्राधिकरण द्वारा पारित साक्षी संरक्षण आदेशों को लागू करने की होगा। आवेदन की सुनवाई के दौरान साक्षी की पहचान किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बताई जाएगी। सक्षम प्राधिकरण रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर आवेदन का निपटान करेगा। एक बार सक्षम प्राधिकरण द्वारा साक्षी की पहचान की सुरक्षा के लिए आदेश पारित कर दिया जाता है, तो साक्षी संरक्षण सेल की जिम्मेदारी होगी कि वह साक्षी की पहचान की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करे। इसमें साक्षी या उसके पारिवारिक सदस्यों का नाम, व्यवसाय, पता, डिजिटल फुटप्रिंट और अन्य पहचान संबंधी विवरण शामिल हैं।

 

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