कुरुक्षेत्र, 29 अप्रैल (हप्र)
आजादी का अमृत महोत्सव के तहत ‘रिविजटिंग फ्रीडम स्ट्रगल ऑफ इंडिया’ विषय पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग ने विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में शुक्रवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार शुरू किया।
इस अवसर पर पद्मश्री प्रो. रघुवेन्द्र तंवर, नयी दिल्ली स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च के चेयरमैन ने कहा कि भारत लम्बे समय तक अंग्रेजों के अधीन रहा और स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए भारतवासियों ने हर मूल्य को चुकाया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए देश में कई तरह के आंदोलन हुए और हर आंदोलन को सफल बनाने के लिए देशवासियों ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। इस दौरान कई लोगों की जानें भी गयीं और कई ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचारों से शहीद हो गये। भारत के राष्ट्रवाद में भारत की प्राचीन सोच व प्राचीन ग्रंथों का भी रोल है। भारत देश पाॅलिटिकल लाइन से नहीं बना, न ही धर्म, जातपात से बना है, भारत देश स्वयं से बना है।
इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि वर्ष-1857 में आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ पहली क्रान्ति का बिगुल बजा। इससे पहले भी विभिन्न आक्रान्ताओं के खिलाफ भारत ने संघर्ष किया है।
कार्यक्रम में रविंद्र भारती विश्वविद्यालय, कोलकाता में इतिहास विभाग के हेड प्रोफेसर हितेन्द्र पटेल ने कहा कि इतिहासकार का कार्य बड़ा अप्रिय होता है। उसे अतीत को पकड़े रखना, वर्तमान को देखते हुए भविष्य को ध्यान में रखना होता है। जिस इतिहास को हमने पढ़ा है उसमें बहुत गैप है जिसकों भरने की जिम्मेदारी हमारी है।
सेमिनार में ये भी रहे मौजूद
सेमिनार में पूर्व कुलसचिव एवं डीन सोशल साइंस प्रो. ज्ञानेश्वर खुराना, इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. एसके चहल, प्रो. राजपाल, प्रो. भगत सिंह, प्रो. सुभाष चन्द्र, प्रो. कृष्णा रंगा, प्रो. राजेश, डॉ. विजेन्द्र ढुल, डॉ. महासिंह पूनिया, डॉ. गुरचरण सिंह, डॉ. गुरप्रीत सिंह, डॉ. मोना गुलाटी, डॉ. कुसुमलता, डॉ. कुलदीप, डॉ. अनुराग व श्वेता कश्यप मौजूद थे।