सुभाष चौहान/निस
अम्बाला, 10 मई
अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला देने वाली तारीख 10 मई 1857 की ताकीद इतिहास के पन्नों में अब नयी लिखी जाएगी। इसके लिए प्रदेश सरकार 300 करोड़ रुपये की बड़ी राशि खर्च कर रही है। अम्बाला छावनी में जीटी रोड के साथ लगते 22 एकड़ क्षेत्र में शहीद स्मारक का निर्माण कराया जा रहा है। इसका काम 90 फीसदी तक पूरा कर दिया गया है। स्मारक स्थल के लिए क्या अंतिम प्रयास किए जा सकते हैं, इसे लेकर इतिहासकार डॉ. युवी सिंह और प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज के बीच चर्चा भी हुई है। मंत्री ने डॉक्टर सिंह से कहा कि वे उन शहीद वीरों का भी पता लगाएं जो अन्य संप्रदाय से होते हुए भी देश की आजादी के लिए खूब लड़े थे।
विज कहते हैं कि इस स्मारक का उद्घाटन कराने के लिए वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता देने जाएंगे। उनका मानना है कि शहीदों से जुड़ा यह स्मारक इस देश में एक अजूबे के समान होगा।
मेरठ को माना जाता था अहम : अभी तक देश विकिपीडिया के माध्यम से पढ़ रहा था कि 1857 की क्रांति की शुरुआत मेरठ से हुई है। लेकिन इतिहासकारों द्वारा इस मुद्दे पर गहन अध्ययन के बाद यह साबित हुआ कि मेरठ से 9 घंटे पहले अम्बाला छावनी से 10 मई 1857 को इस संग्राम की शुरुआत हुई थी। इतिहासकार डॉ. युवी सिंह के अनुसार अम्बाला के तत्कालीन डीसी फोरथिस ने पंजाब के तत्कालीन कमिश्नर सी लॉरेन को 10 मई 1857 की शाम 4:35 बजे सूचना दी थी कि अम्बाला छावनी के सैनिकों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है।
विज की आमजन से अपील, साझा करें धरोहर
यह स्मारक आने वाले दिनों में आकर्षक पर्यटक स्थल के रूप में उभरेगा। मंत्री अनिल विज ने प्रदेश के लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर किसी भी व्यक्ति के पास उनके पूर्वजों की धरोहर के रूप में 1857 की क्रांति से संबंधित कोई भी वस्तु, जैसे राइफल, बंदूक, पिस्टल, गोली, वर्दी, तलवार, चाकू, बैज है, तो वो उसे हरियाणा सरकार को धरोहर के लिए दे सकते हैं।