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कृषि में क्रांति की दस्तक: खेत होंगे ड्रोन और डेटा से लैस स्मार्ट फार्म!

2047 तक हाई-टेक और फायदे का सौदा बनेगी हरियाणा की कृषि
कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा।
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 हरियाणा की राजनीति में खेती और किसानों का मुद्दा हमेशा चुनावी बहस का केंद्र रहा है। समर्थन मूल्य से लेकर पराली संकट तक, पक्ष और विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोप की लंबी कहानी हर चुनाव में दोहराई जाती रही है। लंबे समय तक कृषि को ‘घाटे का सौदा’ कहा गया, जिसने किसानों को परंपरागत फसल चक्र और घटते मुनाफ में जकड़ दिया। लेकिन अब राज्य सरकार का विजन 2047 इस सोच को बदलने का रोडमैप पेश कर रहा है।

लक्ष्य है कि अगले ढाई दशकों में हरियाणा की खेती को केवल अनाज उत्पादन तक सीमित न रखकर उच्च-तकनीक, पर्यावरण-अनुकूल और मुनाफा देने वाले मॉडल में बदला जाए। नई योजनाओं में ‘ड्रोन दीदी’ के तहत खेतों में ड्रोन से छिड़काव और निगरानी, जीरो बर्निंग और ग्रीन रिटर्न, स्मार्ट स्टोरेज नेटवर्क, एग्री-टेक सिटी और जल संरक्षण की नई रणनीतियां शामिल हैं। सरकार का दावा है कि ये पहल खेती को न सिर्फ टिकाऊ और लाभकारी बनाएंगी बल्कि किसानों की आय, पोषण और पर्यावरण सुरक्षा - तीनों मोर्चों पर हरियाणा को मिसाल में बदल देंगी।

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ड्रोन दीदी : खेतों में उड़ान

नई पहल की सबसे चर्चा में रहने वाली योजना है ‘ड्रोन दीदी’। इसके तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित कर खेतों में ड्रोन उड़ाने की जिम्मेदारी दी जा रही है। ये ड्रोन बीज बोने से लेकर खाद और कीटनाशक छिड़काव तक का काम सटीक और तेज़ी से करेंगे। इससे खेती में समय और श्रम दोनों की बचत होगी और महिलाओं को नई रोज़गार संभावना भी मिलेगी। कृषि विभाग का दावा है कि अगले पांच वर्षों में हर ब्लॉक में ड्रोन दीदी टीमें सक्रिय होंगी।

धुआं नहीं, हरियाली की ओर

हर साल पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा का आसमान धुंध से भर जाता है। विजन 2047 ने इसके लिए ‘जीरो बर्न, ग्रीन रिटर्न’ योजना बनाई है। किसानों को ऐसी मशीनें और तकनीक दी जाएंगी जिससे पराली जलाने की जरूरत न पड़े। फसल अवशेष से बायो-सीएनजी और जैविक खाद बनाने के प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे। किसानों को इससे अतिरिक्त आमदनी भी होगी। यह कदम केवल प्रदूषण रोकने का नहीं, बल्कि खेत से ऊर्जा बनाने का भी नया रास्ता है।

इको-फ्रेंडली खेती पर फोकस

राज्य ने खेती को इक्विटेबल, इको-फ्रेंडली और एक्सपेरिमेंटल फार्मिंग यानी ईईई मॉडल पर लाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। मौसम के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए क्लाइमेट-रेजिलिएंट फसलें तैयार होंगी। ड्रिप इरिगेशन और माइक्रो स्प्रिंकलर से पानी की बचत संभव होगी। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि यह बदलाव न केवल उपज बढ़ाएगा बल्कि भूमिगत जल संकट को भी कम करेगा।

एग्री-टेक सिटी और स्मार्ट स्टोरेज

भविष्य की खेती का अगला अध्याय है एग्री-टेक सिटी और स्मार्ट स्टोरेज नेटवर्क। खेतों की निगरानी के लिए ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग बढ़ेगा। किसानों को मंडी से पहले ही फसल की कीमत और मांग का रीयल-टाइम डेटा उपलब्ध होगा। हर गांव में स्मार्ट गोदाम और कोल्ड स्टोरेज, ताकि फल-सब्ज़ियों की बर्बादी रोकना संभव होगा। यह प्रणाली किसानों को फसल का बेहतर मूल्य और उपभोक्ताओं को ताज़ा खाद्यान्न उपलब्ध कराएगी।

मोटे अनाज पर जोर

मोटे अनाज - बाजरा, ज्वार, रागी को बढ़ावा देकर कुपोषण से लड़ाई लड़ी जाएगी। स्कूलों और आंगनवाड़ियों में स्थानीय अनाज और हरी सब्ज़ियों का उपयोग बढ़ेगा। इसी तरह से फूड डायवर्सिफिकेशन से हर परिवार की थाली तक संतुलित पोषण पहुंचाने की योजना है।

किसान की आमदनी स्थिर करने का लक्ष्य

विजन 2047 में स्पष्ट है कि किसान की आमदनी को स्थिर और टिकाऊ बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता है।

-किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये सीधी मार्केट एक्सेस।

-कांट्रेक्ट फार्मिंग और निर्यात हब से वैश्विक बाजार तक पहुंच।

-फसल बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य को और मज़बूत किया जाएगा।

सरकार का अनुमान है कि इन पहलों से किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

कॉट्स

खेती को घाटे का सौदा मानने की सोच अब बदलने वाली है। 2047 तक हमारा लक्ष्य है जीरो बर्निंग, स्मार्ट स्टोरेज और आधुनिक तकनीक को हर खेत तक पहुंचाना। ड्रोन दीदी से लेकर एग्री-टेक सिटी तक हर योजना किसानों को नई पहचान और स्थिर आमदनी देगी।

-श्याम सिंह राणा, कृषि मंत्री।

 

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