चंडीगढ़, 22 अप्रैल (ट्रिन्यू)
शहरी स्थानीय निकायों (नगर निगम, नगर परिषद एवं नगर पालिका) की प्रॉपर्टी के किरायेदारों व लीजधारकों को राज्य की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने बड़ी राहत दी है। पिछले करीब 4 साल से मालिकाना हक को लेकर चले आ रहे विवाद का पटाक्षेप करते हुए सरकार ने 20 साल से अधिक समय ये बैठे किरायेदारों और लीजधारकों को जमीन का मालिकाना हक देने का निर्णय लिया है। कलेक्टर रेट देकर अब ऐसे सभी लोग प्रॉपर्टी के मालिक बन सकेंगे। जमीनों की रजिस्ट्री उनके नाम होगी।
सीएम मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में निकाय विभाग के प्रस्ताव पर मुहर लगी। निकाय मंत्री अनिल विज ने इस नीति को कैबिनेट में रखा। यह नीति ‘नगर निकायों द्वारा दुकानों/मकानों की बिक्री के लिए नीति’ कहलाएगी।
निकायों के अलावा कई शहरों में नगर सुधार मंडलों की प्रॉपर्टी पर भी बड़ी संख्या में किरायेदार बैठे हैं। सरकार ने यह फैसला भी इसलिए किया, क्योंकि ऐसी दुकानों व मकानों का किराया बहुत कम है। इस फैसले से निकायों की आर्थिक हालत भी सुधरेगी। बैठक के बाद मीडिया ब्रीफिंग में सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि जिन लोगों को निकायों की प्रॉपर्टी पर दुकान व मकान बनाए हुए 20 साल से अधिक हो चुके हैं, वे सभी कलेक्टर रेट जमा करवा कर अपने नाम जमीन की रजिस्ट्री करवा सकेंगे।
यहां बता दें कि खट्टर सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में यह योजना बनाई थी। उस समय भी कलेक्टर रेट पर मालिकाना हक देने का निर्णय लिया था, लेकिन विभाग ने बहुमंजिला दुकानों व मकानों के मामले में शर्तें लगा दी थी। मसलन, केवल एक मंजिल का ही मालिकाना हक देने की बात कही गई। व्यापारियों ने इसका विरोध किया। पालिका बाजार रोहतक के प्रधान गुलशन निझावन का कहना है कि इसके लिए सीएम व विज को पत्र लिखा गया। उन्होंने कहा कि मौजूदा नीति व्यापारी के लिए फायदेमंद है।
अभी यह है स्थिति
शहरों में पालिका बाजार, नगर सुधार मंडल मार्केट सहित कई तरह के बाजार व अन्य जगहों पर निकायों की दुकानें हैं। इनमें लोगों ने ग्राउंड फ्लोर के अलावा दूसरी व तीसरी मंजिल भी बनाई हुई हैं। इनमें ग्राउंड फ्लोर, पहली, दूसरी व तीसरी मंजिल पर अलग-अलग किरायेदार हैं।
अब यह निकाला रास्ता
अगर पूरी दुकान का कब्जा एक ही व्यक्ति के पास है तो उसे प्रति वर्गगज के हिसाब से कलेक्टर रेट देकर उसका मालिकाना हक मिलेगा। अगर दुकान या मकान दो मंजिला है तो ग्राउंड फ्लोर वाले को कलेक्टर रेट का 60 प्रतिशत पैसा देना होगा और 40 प्रतिशत फर्स्ट फ्लोर वाला देगा। ऐसे में दोनों के नाम पर अलग-अलग रजिस्ट्री हो जाएगी। इसी तरह से अगर तीनमंजिला इमारत है और तीनों ही मंजिलों पर अलग-अलग लोगों का कब्जा है तो तीनों के नाम रजिस्ट्री होगी। ऐसे मामलों में ग्राउंड फ्लोर वाले को कलेक्टर रेट का 50 प्रतिशत, फर्स्ट फ्लोर वाले को 30 प्रतिशत और सेकेंड फ्लोर वाले को 20 प्रतिशत पैसा देना होगा।