गुरुग्राम, 11 नवंबर (हप्र)
हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (हरेरा) गुरुग्राम ने प्रोमोटर, डवलेपर या बिल्डर द्वारा रियल एस्टेट इकाई की बिक्री के समय ‘एश्योर्ड रिटर्न’ देने के वादे से संबंधित 26 मामलों में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। चेयरमैन केके खंडेलवाल की अध्यक्षता में प्राधिकरण ने एश्योर्ड रिटर्न नहीं देने वाले प्रमोटर्स अथवा डवलेपर्स को बिल्डर-बायर एग्रीमेंट के अनुसार भुगतान करने के लिए उत्तरदायी बताया। प्राधिकरण ने मुंबई हाईकोर्ट द्वारा ‘नीलकमल रियल्टर्स सबअर्बंस मामले’ का हवाला देते हुए कहा कि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 में पार्टियों के बीच संविदात्मक दायित्वों को फिर से लिखने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए प्रमोटरों, डेवलपर्स अथवा बिल्डर्स को यह दलील देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि रेरा अधिनियम, 2016 के प्रभाव में आने के बाद आवंटियों को सुनिश्चित रिटर्न की राशि का भुगतान करने के लिए कोई संविदात्मक दायित्व नहीं था या इस संबंध में एक नया समझौता निष्पादित किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि जब किसी आवंटी को सुनिश्चित रिटर्न की राशि का भुगतान करने के लिए प्रमोटर का दायित्व है, तो वह रेरा अधिनियम, 2016 या किसी अन्य कानून को लागू करने की दलील देकर उस स्थिति से बाहर नहीं निकल सकता है।