भिवानी, 11 अक्तूबर (हप्र)
तैयार फसल को देख देखकर भविष्य की योजनाएं बना रहे किसानों के लिए कपास में अलग-अलग तरह के रोग किसानों के अरमानों पर पानी फेरते हुए नजर आ रहे हैं। गुलाबी सुंडी ने तैयार कपास की फसल को पूरी तरह से बर्बाद करना शुरू कर दिया है। पहले सितंबर माह में हुई बारिश ने किसानों की फसल को काफी हद तक बर्बाद किया और बची खुची फसल में गुलाबी सुंडी का जबरदस्त प्रकोप है। इस सुंडी का सबसे ज्यादा प्रकोप हरे कपास के पौधों में है। गुलाबी सुंडी की वजह से हरे पौधों पर लगे टिंडें सूख रहे हैं। सुंडी की वजह से किसानों को इस बार कपास की फसल से हाथ धोने पड़े सकते है।
कृषि विशेषज्ञ डा. सतबीर शर्मा का कहना है कि कपास की फसल में सुंडी न आए। इसके लिए कपास की बिजाई के लिए जो बीज का उपयोग किया जाता है, उस पर लाल या नीले रंग का लेप (बीटी) किया जाता है। उस लेप के बाद एक निर्धारित समय तक कपास के पौधे में गुलाबी सुंडी का प्रकोप नहीं बन पाता। बताते हैं कि गुलाबी सुंडी के कहर से बचने के लिए किसानों ने बीटी कपास को अपनाया, लेकिन इसके बावजूद कपास के पौधों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप बना हुआ है।
‘कपास के नुकसान की मौके पर बनायी जाये रिपोर्ट’
बाढड़ा (निस) : गांव बेरला के किसानों ने अपने खेतों की फसलों की 80 फीसदी खराबी होने का दावा करते हुए राजस्व विभाग से विशेष टीमें गांव में भेजकर नुकसान की पूरी रिपोर्ट बनाने व कृषि विभाग के विशेषज्ञों की टीमें भेजकर बार-बार खराबे की भेंट चढ़ रही फसलों के कारणों को खोजकर किसानों को सजग करने की मांग की। गांव बेरला के किसान सतबीर मान, नरेश नंबरदार, अनिल कुमार, राकेश मान, भूपेन्द्र सिंह, जगमाल सिंह, रामौतार, सूबेदार हवासिंह आदि ने बताया कि खरीफ सीजन में उनके खेतों में बोई गई कपास की फसलों पर कभी सफेद मक्खी तो कभी बरसात से पकी हुई फसलें खराबें की भेंट चढ़ रही है, जिससे किसानों को प्रत्येक सीजन में नुकसान झेलना पड़ रहा है। मौजूदा सीजन में भी उनकी कपास पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है।