दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 11 जून
राज्यसभा चुनाव को लेकर भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार बहुत पहले से सक्रिय थी। इन दोनों सीटों पर जीत की पटकथा भी पहले ही लिखी जा चुकी थी। बेशक, जोड़-तोड़ के साथ रुठने-मनाने के दौर भी चले, लेकिन सरकार अपनी योजना में सफल रही। निर्दलीयों को एकजुट करने के साथ कांग्रेस में सेंधमारी पर भी अंदरखाने काम चल रहा था। परदे के पीछे दो नेताओं – पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर और बिजली मंत्री चौ़ रणजीत सिंह की अहम भूमिका मानी जा रही है।
ये दोनों ही ऐसे नेता हैं, जिनकी गिनती सीएम मनोहर लाल खट्टर के ‘गुड-बुक’ वाले नेताओं में होती है। मनीष ग्रोवर के खिलाफ रोहतक सांसद डॉ़ अरविंद शर्मा ने भी मोर्चा खोला हुआ है, लेकिन सीएम ने उनकी बातों को अनसुना ही किया है। कारण साफ है – अरविंद शर्मा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले ही भाजपा में आए हैं, जबकि मनीष ग्रोवर को सीएम दशकों से जानते हैं। संघ में संगठन मंत्री रहते हुए भी वे ग्रोवर के काम को देख चुके हैं।
राज्य मंत्रिमंडल में जातिगत संतुलन बिगड़ने और गठबंधन की तमाम मजबूरियों के बाद भी सीएम ने रणजीत सिंह को कैबिनेट में न केवल शामिल किया बल्कि उन पर भरोसा भी जताया। रणजीत सिंह को उनके विभागों में फ्री-हैंड दिया हुआ है। सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा चुनाव को लेकर इन दोनों ही नेताओं की ड्यूटी लगाई गई थी। बेशक, कांग्रेस के पास दूसरी सीट जीतने के लिए पर्याप्त संख्याबल था, लेकिन कहीं न कहीं सेंधमारी की संभावनाएं बरकरार थी। इसी का लाभ सरकार ने उठाया। कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस नेतृत्व से नाराज़ चल रहे थे। वे अपने लिए नई संभावनाएं भी तलाश रहे थे। कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फ्री-हैंड दिए जाने के बाद यह तय हो गया था कि अब कुलदीप की दाल अधिक समय तक नहीं गल पाएगी। उन्हें एक एरिया विशेष तक ही सीमित रहना होगा। ऐसे में भाजपा ने उन पर डोरे डाले।
सूत्रों के अनुसार, रणजीत सिंह और मनीष ग्रोवर ने कुलदीप से संपर्क साधा। इससे पहले खुद कुलदीप गुरुग्राम में सीएम मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात कर चुके थे। यानी बातचीत के रास्ते खुद-ब-खुद बनते चले गए। भविष्य को लेकर वादे किए जाने की भी सूचना है। दोनों नेताओं के साथ मुलाकात के बाद मोटे तौर पर क्रॉस वोटिंग की बात तय हो गई थी। इसके बाद भी दूसरी सीट पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा को और विधायकों की जरूरत थी। इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला के तेवर भी बागी थे। इस तरह के संकेत भी मिल रहे थे कि अभय सिंह चौटाला भी बलराज कुंडू की तरह चुनावों से खुद को दूर कर सकते हैं। रणजीत सिंह क्योंकि रिश्ते में अभय के सगे चाचा हैं और दोनों का परिवार भी एक ही है। ऐसे में रणजीत सिंह ने अभय से बातचीत की। वे अभय को कार्तिकेय शर्मा के समर्थन में मतदान के लिए मनाने में भी कामयाब रहे। कांग्रेस के एक विधायक का वोट रद्द होने के बाद कार्तिकेय शर्मा की राह क्लीयर हो गई।
और भी हो सकती थी क्रॉस वोटिंग
सूत्रों की अगर मानें तो कुलदीप के अलावा कांग्रेस के कुछ और भी विधायक क्रॉस वोट कर सकते थे। शायद, कहीं न कहीं कांग्रेस को भी इसका डर या भनक थी। तभी तो विधायकों को सप्ताहभर के लिए हरियाणा से बाहर रायपुर (छत्तीसगढ़) के मेफेयर लेक रिसोर्ट में रोका गया। एक भाजपा नेता ने कहा, जरा सी चूक हो गई नहीं तो कार्तिकेय शर्मा की जीत और भी अधिक मतों से होने वाली थी। बताते हैं कि रणजीत सिंह ने बलराज कुंडू से भी राज्यसभा चुनाव को लेकर बातचीत की थी। हालांकि कुंडू ने मतदान के दिन ही अपने पत्ते खोले।