भिवानी, 17 जुलाई (हप्र)
राजपूत समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने सोमवार को प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और राजपूत समाज की अनदेखी का आरोप लगाया। हरियाणा राजपूत प्रतिनिधिसभा के मुख्य संरक्षक एवं राजपूत समाज के प्रदेश स्तरीय प्रमुख वरिष्ठ प्रतिनिधि पूर्व आईएएस आरपी सिंह, हरियाणा राजपूत प्रतिनिधि सभा के प्रांतीय उपाध्यक्ष ओमबीर सिंह, जिला अध्यक्ष अजीत सिंह तंवर, पूर्व अध्यक्ष मामन सिंह परमार, जिला वित्त सचिव उदय सिंह ने संयुक्त रूप से सरकार के प्रति खुलेआम नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि भाजपा शासनकाल के 9 वर्षों में वे मुख्यमंत्री मनोहर लाल, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ सहित विभिन्न नेताओं से समाज की मांगों को लेकर मिल चुके हैं, लेकिन आज तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि राजपूत समाज की हरियाणा में लगभग 10 प्रतिशत जनसंख्या है और राजपूतों ने 2014 व 2019 में राज्य व केंद्र में भाजपा सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई, बावजूद उन्हें सरकार में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला। यहां तक कि उनके मांगपत्रों को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। न तो समाज का हरियाणा सरकार में कोई मंत्री है और न ही पब्लिक सर्विस कमीशन अथवा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन अथवा बोर्ड व निगम का चेयरमैन, अपवाद के रूप में केवल पृथला के विधायक नयनपाल रावत को छोड़कर किसी को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। उन्होंने कहा कि एजी हरियाणा कार्यालय में भी 120 अधिवक्ताओं की नियुक्ति की गई। लेकिन इनमें भी राजपूत समाज की हिस्सेदारी नगन्य है। सन 1966 में जब से हरियाणा बना है तब से आज तक राजपूत समाज के किसी भी नेता को राज्यसभा में नहीं भेजा गया। हर समाज अपनी संख्या के अनुपात में सरकार में भागीदारी चाहता है परन्तु राज्य सरकार ने राजपूत समाज को कोई हिस्सेदारी नहीं दी। समाज इसकी घोर निंदा करता है।
समाज से हो रहा अन्याय : आरपी सिंह
आरपी सिंह ने कहा कि हरियाणा की 17 राजपूत बहुल विधानसभा सीटों को पहले ही आरक्षित कर रखा है। महज नीलोखेड़ी ऐसा इलाका है जहां राजपूत बहुल होने के बावजूद होने के बाद यह सामान्य सीट है। राजपूत समाज के नेताओं ने कहा कि सरकार के इस घोर अन्यायपूर्ण व्यवहार के कारण समाज 2024 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने में गंभीरता से विचार कर रहा है।