भिवानी, 5 अक्तूबर (हप्र) सन्तमत में सेवा पर जोर इसीलिए दिया जाता है क्योंकि सन्तमत सहज व सरल भक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। भक्ति दया और प्रेम के बिना सम्भव नहीं है और दया प्रेम केवल सेवा से उपजते हैं। यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने अपने गुरु परमसंत ताराचंद जी महाराज के 97वें अवतरण दिवस पर होने वाले सत्संग की पूर्व संध्या पर सेवाकार्यों के लिए जुटे सेवादारों को फरमाए। हुजूर महाराज जी ने कहा कि तन की पवित्रता सेवा से, मन की सुमिरन से और धन की पवित्रता दान से होती है।