अम्बाला (नस) :
श्री वृन्दावन भक्तिधाम के संस्थापक डॉ. स्वामी अनुभवानंद गिरि ने पावन कार्तिक मास की कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि कार्तिक एवं माघ मास स्नान के लिए मुख्य-मुख्य तीर्थ और नियमों का प्रतिपादन किया गया है। उन्होंने कहा कि मन की शुद्धि सब तीर्थों से उत्तम तीर्थ है। केवल शरीर से जल में डुबकी लगा लेना ही स्नान नहीं कहलाता। जिसने मन और इन्द्रियों को वश में करके स्नान किया है वास्तव में उसी का स्नान सफल माना जाता है।