देश में पंजाबी भाषा को मिले पहला दर्जा : झींडा
कुरुक्षेत्र, 24 जून (हप्र)
देश में बोली जाने वाली सभी भाषाओं का दिल्ली में एक सेमिनार करवाया जाना चाहिए। सेमिनार करवाने के लिए हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी (एचएसजीएमसी) ने गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है। एचएसजीएमसी के प्रधान जत्थेदार जगदीश सिंह झींडा ने डेरा कार सेवा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि देश में प्रमुख रूप से हिंदू, मुस्लिम, सिख व इसाई धर्म हैं और इन चारों धर्मों की अपनी-अपनी भाषाएं हैं। देश में 22 प्रदेश हैं व हर प्रदेश में अपनी-अपनी भाषा पढ़ाई जाती है। सेमिनार को करवाने का मकसद हर भाषा के विद्वानों द्वारा अपनी-अपनी भाषाओं का विवरण देना है। इसके उपरांत संसद से एक कमेटी गठित की जाए। उन्हाेंने कहा कि अंग्रेजी भाषा हिंदुस्तान की भाषा न होने के बावजूद सबसे अधिक प्रचलित है। अंग्रेजी हुकूमत ने देश पर 100 साल तक शासन किया और उसके बाद उन्होंने छाप छोड़ते हुए अंग्रेजी भाषा को बोलने का दबाव बना दिया। उन्होंने कहा कि देश में पहले दर्जे पर अंग्रेजी नहीं, बल्कि पंजाबी भाषा होनी चाहिए। झींडा ने कहा कि श्री गुरु अमरदास के मुख से निकली गुरमुखी (पंजाबी) भाषा है। यह बहुत मीठी व सरल है। पंजाबी भाषा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि श्री गुरु ग्रंथ साहिब सबसे सर्वोच्च है और इसमें 36 बिरादरी के संत-महापुरुषों की बाणी दर्ज है। दुनिया में ऐसा कोई अन्य ग्रंथ नहीं। इसलिए पंजाबी भाषा को देश में पहले नंबर का दर्जा दिया जाए। हिंदुस्तान में किस भाषा को पहला दर्जा दिया जाए, इसी उद्देश्य को लेकर उपरोक्त सेमिनार करवाने की मांग की गई है।
उन्हाेंने कहा कि जल्द एचएसजीएमसी का बजट पेश किया जाएगा, जिसके लिए सभी सदस्य का जरनल हाउस एकत्रित होगा। बैठक में हरियाणा कमेटी का बजट पेश किया जाएगा और उस पर चर्चा होगी। एमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ बनाने का उद्देश्य इसका संताप झेलने वालों को सम्मानित करना है। जेल में रहने वालों में पहले नंबर पर प्रकाश सिंह बादल आते हैं और दूसरे नंबर पर चौ. देवीलाल। इसके अलावा अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, चौधरी चरण सिंह, लालू प्रसाद, मुलायम सिंह यादव समेत अन्य कई बड़े राजनीतिक नेता रहे, जिन्होंने 18-18 महीने जेल भुगती। मगर अकाली दल के एक युवा नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने भी यह संताप झेला, जिनकी आयु केवल करीब 20 साल थी। इसके अलावा कई अकाली नेताओं ने भी इसका सामना करते हुए जेल काटी। उन्होंने कहा कि करीब 35 लोगों को इसमें शामिल होने के लिए पत्र लिखे गए हैं।
उन्होंने कहा कि एचएसजीएमसी बिना किसी राजनीति के यह कार्यक्रम करवा रही है, जिसके लिए एक भी पैसा संस्था का खर्च नहीं किया जाएगा, यह सब संगत के सहयोग से हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह 50वीं वर्षगांठ है, इसलिए काला दिवस के रूप में मनाई जा रही है। यह उनके हिस्से में आया है। इसके साथ ही उनके हिस्से में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का 350वां साला शहीदी शताबदी मनाना आया है। एक सवाल के जवाब में झींडा ने कहा कि राजनीतिक पार्टी से प्रेरित होकर कुछ लोग काला दिवस के विरोध में आ रहे हैं, वे लोग केवल राजनीति करना चाहते हैं।