सोनीपत, 14 अप्रैल (हप्र)
तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलनरत किसानों ने बुधवार को धरनास्थल पर बाबा साहेब अंबेडकर जयंती को संविधान बचाओ दिवस के रूप में मनाई। इस दौरान किसानों का मुख्य मंच दलित समाज के वक्ताओं के हवाले रहा। जयंती पर सबसे पहले डा. अंबडेकर को नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।
इस मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि देश में संविधान बचाने के लिए किसान संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में हर नागरिक का दायित्व बनता है कि इस आंदोलन में आहुति दे। मोर्चा ने कहा कि पूर्व में देश के मजदूर, किसान व कामगार वर्ग का औपनिवेशिक शासन में बेहद शोषण होता था। इसी व्यवस्था को बदलने के लिए सामाजिक क्रांति के रूप में संविधान बनाया गया। संविधान में बराबरी, न्याय व प्रगति के लिए अनेक प्रावधान हैं,इन पर सरकारें लगातार हमले करती आ रही है।
किसान नेताओं ने कहा कि वर्तमान सरकार, आरएसएस व भाजपा संविधान में सुधार के नाम से अनेक छेड़छाड़ कर रही है, जो कि अर्थव्यवस्था व समाज दोनों के लिए खतरनाक है। कृषि एक राज्य का विषय है, इस पर केंद्र सरकार का कानून बनाना निश्चित तौर पर असंवैधानिक कदम है।
भीम आर्मी के चीफ ने भरा जोश
गाजीपुर बाॅर्डर पर पहुंचे भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर ने कहा कि जीना कोई बड़ी बात नहीं। बड़ी बात है, स्वाभिमान से जीना, अधिकार के साथ जीना, संघर्ष करके जीना। बाबा साहेब डा. अंबेडकर कहते थे कि अगर गुलाम, गुलामी का अहसास कर ले, तो वह अपनी बेड़ियां स्वयं काट लेगा। यही बात किसानों पर भी लागू होती है। इस दौरान भाकियू नेता राकेश टिकैत, धर्मेन्द्र मलिक, जगतार सिंह बाजवा, राजवीर सिंह जादौन और अंबेडकर के मानस पुत्र राबर्ट ने भी विचार रखे।
किसान बहुजन एकता दिवस
मोर्चा ने कहा कि आज किसान बहुजन एकता दिवस मनाया गया। मंच से नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बिना किसी संवाद व मांग के तीन कृषि कानून कोरोना महामारी के समय लाये गए।
मंडी व्यवस्था व उचित एमएसपी व कर्ज़ा मुक्ति किसानों के लिए सबसे बड़ी आज़ादी है। ठीक इसी तरह मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी व सम्मानपूर्वक काम शोषण से बचाता है। वर्तमान समय मे दोनों ही वर्ग को केंद्र सरकार ने निशाना बनाया हुआ है। केंद्र सरकार और कॉरपोरेट की मिलीभगत के खिलाफ किसान व मजदूर एकजुट है। जयंती के समारोह में प्रगतिशील नेता चंद्रशेखर आजाद ने पहुंच कर सांझी लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। पंजाब नरेगा मजदूर एसोसिएशन के कार्यकर्ताओं की सिंघु बॉर्डर पर बड़ी भागीदारी रही। जत्थों में देशभर से पहुंचे मजदूर और किसानों ने संकल्प लिया कि वह हर साल में संविधान की रक्षा करेंगे और मनमानी नहीं होने देंगे।