दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 29 अगस्त
हरियाणा में रिहायशी व कमर्शियल प्रॉपर्टी में अब और भी बूम आएगा। राज्य सरकार प्रदेश के विभिन्न शहरों में 1200 से अधिक अवैध कालोनियों को वैध करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए विधानसभा के हालिया मानसून सत्र में विधेयक भी पास हो चुका है। विधानसभा में पास किए बिल को मंजूरी के लिए राज्यपाल बण्डारू दत्तात्रेय के पास भेजा जा चुका है।
राज्यपाल की मुहर के बाद सरकार इसका नोटिफिकेशन जारी करेगी। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद कालोनियों को अधिकृत करने की प्रक्रिया शुरू होगी। बिल पास होते ही शहरी स्थनीय निकाय मंत्री अनिल विज ने विभाग के आला अधिकारियों को तैयारियां करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। खट्टर सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी राज्य में 1500 के करीब कालोनियों को वैध घोषित किया था। सरकार ने कालोनियों को अधिकृत करने के लिए तय शर्तों में भी बदलाव किया है। पहले उन्हीं अनधिकृत कालोनियों को अधिकृत किया जा सकता था, जिनमें 50 प्रतिशत या इससे अधिक मकान बन हुए हैं और बसासत है। बदले हुए नियमों के बाद अगर किसी कालोनी में कुछ प्रतिशत ही मकान बने हैं, तो उसे भी वैध किया जा सकेगा।
पहले भी हो चुका है सर्वे
इससे पहले नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाओं से ही सर्वे करवा कर सरकार ने रिपोर्ट ली थी। इस बार सर्वे का काम निकायों की बजाय टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से करवाया गया। जिलों में विभाग के अधिकारियों ने संबंधित निकायों से अवैध कालोनियों के एरिया, लेआउट प्लान, गलियों आदि के बारे में ब्योरा लिया और इसके बाद विस्तृत रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी थी।
निकाय मुताबिक तय हैं विकास शुल्क दरें
प्रदेश सरकार ने अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने के लिए विकास शुल्क तय किए हुए हैं। नगर निगम एरिया में रिहायशी प्रॉपर्टी के लिए 360 रुपए प्रति वर्गमीटर विकास शुल्क तय है। कलेक्टर रेट का पांच प्रतिशत देकर भी कालोनियों को वैध करवाने का विकल्प सरकार ने निगमों में दिया। निगमों के एरिया में कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए 1000 रुपए वर्गमीटर विकास शुल्क तय किया हुआ है। इसी तरह से नगर परिषद में रिहायशी प्रॉपर्टी के लिए 120 रुपए प्रति वर्गगज तथा सामान्य कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए 800 रुपए प्रति वर्गमीटर रेट तय है।
बदले जा सकते हैं विकास शुल्क
अभी तक खट्टर पार्ट-। में तय की गई विकास शुल्क दरें ही लागू हैं। अब संशोधित बिल पास होने के बाद सरकार विकास शुल्क नये सिरे से भी तय कर सकती है। हालांकि इसको लेकर फैसला नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही तय होगा। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिना विकास शुल्क के कालोनियों को नियमित नहीं किया जाएगा। विकास शुल्क लेने के बाद सरकार कालोनियों में बिजली-पानी, सड़कें, सीवरेज, पार्क आदि मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराएगी।
रजिस्ट्रियों पर लगा है बैन
प्रदेश में फिलहाल अवैध कालोनियों में जमीनों की रजिस्ट्री पर रोक लगी हुई है। अर्बन एरिया डेवलेमेंट एक्ट का नियम-7ए लागू होने के बाद से रजिस्ट्री बंद हो गई हैं। ऐसी कालोनियों की प्रॉपर्टी आईडी भी नहीं बन रही। संबंधित निकायों द्वारा ऐसी कालोनियों के प्लॉट्स के लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण-पत्र) भी जारी नहीं किए जाते। कालोनियों के वैध घोषित होने के बाद उनकी रजिस्ट्री शुरू हो जाएगी। इससे जहां खरीदो-फरोख्त बढ़ेगी वहीं सरकार को राजस्व भी हासिल होगा।
एक साल में हुई दो लाख रजिस्ट्रियां
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि पिछले साल जमीनों के पंजीकरण को लेकर नियमों किए गए बदलाव के बेहतर परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल के अंदर प्रदेश में 2.8 लाख प्रलेख पंजीकृत हुई हैं। जिनमें से 6184 रजिस्ट्रियां ऐसी थी जो एनओसी के आधार पर हुई हैं। दुष्यंत चौटाला ने अपने विभाग की रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि वर्ष 2019-20 के दौरान 5368 करोड़ रुपए स्टांप डयूटी के सरकार के खजाने में आए थे। वर्ष 2020-21 के दौरान 4509 करोड़ तथा इस साल अब तक 2692 करोड़ रुपए का राजस्व सरकार के खाते में आ चुका है। वित्त वर्ष के समापन तक सरकार को रजिस्ट्रियों के माध्यम से छह से सात हजार राजस्व आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 के दौरान पंजीकरण फीस के रूप में 332 करोड़, 2020-21 में 338 करोड़ तथा इस साल में अब तक 193 करोड़ आ चुके हैं।