रणजीत कुमार गुप्ता/निस
शाहाबाद मारकंडा, 26 अप्रैल
हिंदु धर्मशास्त्रों में शव के दाह संस्कार की व्यवस्था है। अंतिम संस्कार के लिए प्रत्येक गांव व नगर में श्मशान भूमि होती है। भारत का सर्वाधिक सुविधायुक्त, व्यवस्थित, मनोहारी श्मशानघाट यूपी के बरेली शहर में है।
इसके बारे स्वर्गीय लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने कहा था कि बरेली का श्मशान घाट संपूर्ण देश में एक ही श्मशान घाट है, जिसकी जानकारी संपूर्ण भारत को होनी चाहिए। शाहाबाद का श्मशान घाट, जिसे स्वर्गाश्रम का नाम दिया गया है, नि:संदेह तीव्र गति से उसी दिशा में अग्रसर है। स्वर्गाश्रम की गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन व प्रबंधक एक जनसेवी व इंजीनियर नरेश कामरा हैं। 16 महीने पहले नगरपालिका ने 18 दिसंबर, 2020 को वर्क ऑर्डर ठेकेदार को दिया था।
यह कार्य वर्क आर्डर के मात्र 45 दिन में पूरा होना था, लेकिन 16 मास हो चुके आज तक भी यह प्रोजेक्ट जनता को समर्पित नहीं हुआ है, हालांकि ठेकेदार को प्राप्त जानकारी अनुसार 57 लाख रुपए का भुगतान हो भी चुका है। आज नगरपालिका के वरिष्ठ अधिकारी बम्भूल सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने सभी शंकाओं पर विराम लगाते हुए कहा कि असल में 99 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है, कुछ ही आवश्यकताएं व औपचारिकताएं पूरी होनी शेष हैं। एक मास के भीतर यह चालू कर दिया जाएगा। वर्क आर्डर में 45 दिन में कार्य पूरा न होने की सूरत में भारी पैनल्टी के बड़े प्रावधान भी हैं, लेकिन यहां तो यह प्रोजेक्ट 16 मास उपरांत भी आज तक लॉक है, पूरा नहीं हो पाया है। नरेश कामरा ने कहा कि स्वर्गाश्रम में 25x 25 फुट की दो छतरियां बननी हैं। 12x 210 फुट साbज का एक शैड बनना है तथा शिव मंदिर के सामने मुख्य प्रवेशद्वार भी बनना है] इन पर लगभग 8 लाख रुपए लागत आएगी। एलपीजी आधारित अधूरे शवदाहगृह पर ताला लगा है।
कामरा ने कहा कि उन्हें यही नहीं पता कि बिल्डिंग के अंदर क्या स्थिति है, ठेकेदार व प्रशासन ने उन्हें विश्वास में लेना जरूरी नहीं समझा।
हालांकि यह शवदाह गृह वक्त की जरूरत है।जनप्रतिनिधियों को विश्वास में तो लेना ही पड़ेगा कि हिंदू लोग अपनी संस्कार प्रथा की अपेक्षा नई प्रणाली को अपनाएंगे या नहीं।