अम्बाला शहर, 20 मार्च (हप्र)
जिले के निजी स्कूल इस बार प्राइवेट प्रकाशकों की पुस्तकें नहीं लगा पाएंगे, उन्हें एनसीईआरटी की पुस्तकों के माध्यम से ही पढ़ाई करवानी होगी। जिला शिक्षा अधिकारी सुरेश कुमार के अनुसार सभी प्राइवेट स्कूलों को इस संबंध में निर्देश दिए जा चुके हैं, नियम नहीं मानने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, शिक्षा विभाग ने नियम बनाया है कि सभी प्राइवेट स्कूल एनसीईआरटी किताबों के माध्यम से ही पढ़ाई करवाएंगे। ऐसी शिकायतें मिलती हैं कि निजी फायदे के लिए प्राइवेट स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें स्कूल में लगवाते हैं, इससे अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है। इसके अलावा सीबीएसई बोर्ड के मॉडल सरकारी स्कूलों में भी एनसीईआरटी की किताबें लगाई जाएंगी।
शिक्षा विभाग द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इस बारे में निर्देश जारी किए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी सुरेश कुमार के अनुसार हरियाणा सरकार की हिदायत है कि सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों से ही पढ़ाई करवाई जाएगी। खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से सभी प्राइवेट स्कूलों को यह निर्देश दिए जा चुके हैं, अगर किसी प्राइवेट स्कूल के खिलाफ शिकायत आती है तो जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन
अम्बाला (नस) : प्राइवेट स्कूलों की ओर से फीस और अन्य एनुअल चार्ज बढ़ाने के खिलाफ रविवार को अभिभावकों ने रोष प्रदर्शन किया। जिन अभिभावकों ने यह राशि नहीं दी है, वहां स्कूल प्रबंधन ने 9वीं क्लास के बच्चों का परीक्षा परिणाम रोक दिया है। स्कूल प्रबंधन के इस रवैये से परेशान बच्चे स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट लेने को मजबूर हैं। अम्बाला कैंट सदर बाजार में किए प्रदर्शन में बच्चों की माताओं ने कहा कि बेतहाशा बढ़ाई फीस से उनका बजट बिगड़ गया है। रीना, मालती और सुनीता ने कहा कि सरकारी आदेश के बावजूद स्कूल अपनी मनमानी अड़े हुए हैं। जिला प्रशासन से लेकर शिक्षा मंत्री तक इस मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं।
धरने पर बैठे लोगों से मिलीं चित्रा सरवारा
अम्बाला (निस) : अम्बाला छावनी के सदर बाजार चौक पर प्राइवेट स्कूलों की ओर से फीस बढ़ोतरी के खिलाफ धरने पर बैठे अभिभावकों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट की नेता चित्रा सरवारा ने मुलाकात की। सरवारा ने कहा कि सरकार की अस्पष्ट शिक्षा नीतियों के कारण प्राइवेट स्कूल और अभिभावक आमने-सामने हैं। माता-पिता बड़े अफसरों के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, जहां पर भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल रहा है। इस असमंजस का कारण सत्तासीन भाजपा सरकार है, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री की ओर से 134 ए, बढ़ी हुई वार्षिक फीस के संबध में दिए गए सभी बयानों में किसी भी तरह की पारदर्शिता नहीं है।