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हिसार, 16 जुलाई
भटकाव के बाद अापराधिक दुनिया में कदम रखने वाले युवा पुलिस गिरफ्त के बाद यदि हिसार केंद्रीय कारागर नंबर 1 में आते हैं तो वे रिहा होने के बाद या तो योग ट्रेनर होंगे या फाइन आर्ट के विशेषज्ञ या कुक बनेंगे। यही नहीं उनको यूनिवर्सिटी की तरफ से सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा, जिससे सजा पूरी करने के बाद वे इज्जत के साथ नौकरी करके जीवन यापन कर सकें।
यह सब साकार हो पाया है इंडिया विजन एनजीओ, ओम स्टर्लिंग यूनिवर्सिटी और जेल विभाग के संयुक्त प्रयासों से। देश की पहली महिला आईपीएस एवं इंडिया विजन एनजीओ की संस्थापक किरण बेदी, यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. पुनीत गोयल, प्रो चांसलर डॉ. पूनम गोयल ने शनिवार को केंद्रीय कारागर में पौधरोपण कर इन तीन कोर्स की शुरुआत की।
जेल अधीक्षक दीपक शर्मा ने बताया कि पहले चरण में यूनिवर्सिटी की तरफ से तीनों कोर्साें के लिए 20-20 सीटें रखी गई हैं। तीनों कोर्स की अवधि तीन-तीन माह होगी और इसके लिए बंदियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक जेल में आकर बंदियों को प्रशिक्षण देंगे। इस प्रकार एक साल में करीब 320 बंदियों को प्रशिक्षित किया जा सकेगा, लेकिन भविष्य में इन सीटों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
इस दौरान, किरण बेदी ने जेल के रेडियो के माध्यम से बंदियों को संबोधित भी किया और कहा कि आपको नयी दिशा दिखाने व जेल से बाहर सम्मानजनक जीवन जीने के लिए तीन कोर्स शुरू किए हैं। इसमें भाग लेकर स्वयं का कौशल विकास करें। एनजीओ की डायरेक्टर मोनिका धवन ने बताया कि जेल में 15 नॉन प्रोफेशनल बंदी खाना पकाते हैं। इन्हें प्रशिक्षण देकर पेशेवर बनाया जाएगा। ऐसा होने पर खाने की गुणवत्ता सुधरेगी व जेल से बाहर निकलकर खुद का काम शुरू कर पाएंगे। एनजीओ की संस्थापक किरण बेदी को जेल की सफाई व्यवस्था बहुत अच्छी लगी। इस मौके पर एनजीओ से असिस्टेंट रवि श्रीवास्तव व अन्य मौजूद रहे।