चंडीगढ़, 22 नवंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा पुलिस जिस सजायाफ्ता मुजरिम को दो वर्षों में भी गिरफ्तार नहीं कर पाई, उसे खुद ही जेल अथॉरिटी ने काबू कर लिया है। मामला गुरुग्राम की भौंडसी जेल से पैरोल पर गए कैदी से जुड़ा है। गुरुग्राम जिलाधीश के आदेश पर कैदी चार सप्ताह की पैरोल पर गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा। भौंडसी जेल अधीक्षक हरेंद्र सिंह की गुप्त सूचना पर संगीन मामलों के मुजरिम को दबोच कर फिर से सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया है।
हरियाणा में यह अभी तक का पहला मामला है जब जेल अधिकारियों ने खुद ही भगौड़े कैदी को सलाखों के पीछे भेजने में कामयाबी हासिल की है। जेल महानिदेशक के़ सेल्वराज अब भौंडसी जेल के अधिकारियों को सम्मानित करेंगे।
मुजरिम को वापस जेल लाने वाले दो जेल अधिकारियों को पुरस्कृत करने की सिफारिश खुद जेल अधीक्षक हरेंद्र सिंह ने जेल विभाग के महानिदेशक को लिखे पत्र में की है। इतना ही नहीं, प्रदेश की अन्य जेलों के अधिकारियों के लिए भी यह उदाहरण आने वाले दिनों में मजबूत हथियार साबित होगा। आमतौर पर जिलाधीश या फिर मंडलायुक्त की सिफारिश पर जेलों में बंद कैदियों को पैरोल पर भेजा जाता है। जेल नियमों में 2014 में बदलाव हुआ था। दरअसल, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 2003 में एक केस की सुनवाई के बाद इस बाबत फैसला सुनाया था। इसी के आधार पर जेल महानिदेशक की ओर से 7 फरवरी, 2014 को सभी जेल अधीक्षकों को पत्र लिखा गया था। जेल अधिकारियों को पैरोल पर जाने के बाद भगौड़े हुए कैदियों को पकड़ने के लिए अधिकृत किया गया था।
अलग-अलग 17 संगीन मामलों में शामिल पलवल के जलालपुर गांव का रहने वाला समीर उर्फ शमीम पिछले दो वर्षों से फरार था। उसे एक मामले में 10 साल के कठोर कारावास और 10 हजार रुपये की सजा भी कोर्ट से हो चुकी है। सजायाफ्ता समीर को गुरुग्राम जिलाधीश ने 8 अक्तूबर, 2018 को पारित अपने आदेश में 4 सप्ताह की पैरोल पर जाने की मंजूरी दी थी। पैरोल अवधि खत्म होने के बाद उसे 6 नवंबर, 2018 को वापस जेल लौटना था, लेकिन फरार हो गया।