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अधर में लटका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट

करीब साढ़े 7 साल बाद भी नहीं हो पाई पं. दीनदयाल युवा उपवन एवं इंस्टीट्यूट की स्थापना

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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हरीश भारद्वाज/हमारे प्रतिनिधि

रोहतक, 12 दिसंबर

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महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में आधारशिला रखने के करीब साढ़े सात साल बाद भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय युवा उपवन एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय इंस्टिट्यूट ऑफ़ एंटरप्रेन्योरशिप एंड स्किल डेवलपमेंट की स्थापना नहीं हो पाई है। एक और तो विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति सबसे पहले शुरू करने का दावा कर रहा है वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्किल डेवलपमेंट का मामला अधर में लटका हुआ है। आलम यह है कि इन संस्थानों के नींव के पत्थर भी गायब होने लगे हैं जबकि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार है।

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उल्लेखनीय है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 5 अप्रैल 2017 को इनकी आधारशिला रखी थी मगर आज तक दोनों संस्थानों की स्थापना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। हालांकि विश्वविद्यालय की 45वीं वार्षिक रिपोर्ट (10.7.22 से 30.6.23) की क्रम संख्या 9 व 10 में 4 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान इन संस्थाओं के लिए दर्शाया गया था, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हो पाया। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय कई अन्य परियोजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है मगर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर शुरू हो रही दो महत्वपूर्ण योजनाएं अधर में लटकने का मामला चर्चा में है।

बताया जा रहा है कि कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय उपवन की स्थापना के लिए एक आठ सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। 10 जुलाई 2021 को कुलपति की अध्यक्षता में उपरोक्त कमेटी की बैठक हुई थी। कमेटी के सदस्यों ने झज्जर रोड और जवाहरलाल नेहरू नहर के बीच खाली पड़ी करीब 40-42 एकड़ जमीन पर उपवन बनाने का निर्णय लिया था। कमेटी द्वारा बोटैनिकल गार्डन अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र कुमार भारद्वाज को उपवन की स्थापना के लिए प्रोपोजल तैयार करने का दायित्व सौंपा गया था। डॉ. भारद्वाज ने प्रोपोजल तैयार कर 16.7.2021 को विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग की अध्यक्ष एवं कुलपति कार्यालय को सौंप दिया था मगर पंडित दीनदयाल उपाध्याय युवा उपवन का कार्य अधर में लटका हुआ है।

दिलचस्प बात यह है कि विश्वविद्यालय में काफी लंबे अरसे से बोटैनिकल गार्डन नहीं है। बोटैनिकल गार्डन न होने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। विश्वविद्यालय में बोटैनिकल गार्डन न होने से बॉटनी, एनवायरनमेंट, फार्मेसी, बायोटेक, जूलॉजी के अलावा बहुत से डिपार्टमेंट के विद्यार्थियों का प्रशिक्षण व शोध कार्य सुचाारू रूप से नहीं हो रहा है। इस बारे डॉक्टर सुरेंद्र भारद्वाज कुछ भी कहने से बचते नजर आए उन्होंने कहा कि उन्हें सौंपा गया उन्होंने पूरा कर दिया था। इस मामले में अथॉरिटी ही कुछ बता सकती है। इस बारे में रजिस्टर डॉक्टर गुलशन तनेजा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह फाइल देखने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।

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