अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 19 फरवरी
हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी 10वीं और 12वीं की परीक्षा ओएमआर पैटर्न पर कराने की तैयारी कर रहा है। बोर्ड ने कुछ माह पहले दिए एग्जाम के ब्लू प्रिंट को बदल दिया है। ओमएमआर सीट पर एग्जाम कराने का विरोध भी शुरू हो गया है। इसके अलावा बोर्ड प्रशासन भी इसके लिए एकमत नहीं है। बोर्ड के इस फैसले से दोनों ही कक्षाओं के 7 लाख विद्यार्थी प्रभावित होंगे।
छात्र भी नये पैटर्न के लिए तैयार नहीं है। उन्हें जैसे ही नये पैर्टन का पता चला तो वो टेंशन में आ गए हैं। हरियाणा स्कूल लेक्चरर (हसला) ने भी बोर्ड के इस कदम का विरोध शुरू कर दिया है।
शिक्षा बोर्ड एमसीक्यू प्रश्नों (50 प्रतिशत) एग्जाम ओएमआर सीट पर कराने की योजना पर काम कर रहा है, जिसकी भनक 10वीं व 12वीं के बच्चों तक भी पहुंच गई है, जिसके लिए बच्चे तैयार दिखाई नहीं दे रहे हैं। एमसीक्यू के लिए छात्र को 4 या 4 से अधिक ऑप्शन्स दिये जाते हैं, इसमें से विद्यार्थी को एक सही उत्तर चुनना होता है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ओएमआर सीट पर परीक्षा लेने के लिए बोर्ड प्रशासन एकमत नहीं है। एकपक्ष तो ओएमआर सीट पर एग्जाम करवाने के लिए अड़ा हुआ है तो वहीं दूसरा पक्ष तर्क देकर एतराज कर रहा है कि इसके लिए करोड़ों रुपए तो खर्च करने होंगे ही साथ ही बच्चों के लिए भी मुसीबत पैदा होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
ए और बी व्यवस्था पर भी विचार
सूत्रों से जानकारी मिली है कि 50 प्रतिशत एमसीक्यू होने के बाद पेपर का टाइम बहुत ही कम हो जाएगा, ऐसे में बोर्ड चाहता है कि उसको पेपर के लिए पूरे तीन या कम से कम ढाई घंटे का समय तो बच्चों के लिए चाहिए। इसी समाधान के लिए विचार-विमर्श किया जा रहा है कि 1986 की तर्ज पर पेपर को ए और बी भागों में बांटा जाए, जिसके तहत एमसीक्यू के लिए पेपर ए और सब्जेक्टिव के लिए पेपर बी करवाया जाए। अब देखना यह होगा कि ओएमआर सीट व्यवस्था और 1986 के ए व बी पैटर्न के लिए बोर्ड प्रशासन कितना कामयाब होता है।
पहले नहीं किया था शामिल
हरियणा स्कूल लेक्चरर (हसला) के प्रधान दयानंद लाल ने ओएमआर के इस्तेमाल को अव्यवहारिक बताया। उन्होंने कहा है कि शिक्षा बोर्ड ने दो माह पूर्व उन्हें प्रश्नपत्रों का जो ब्लू प्रिंट दिया था उसमें ओएमआर शीट के इस्तेमाल की कोई चर्चा नहीं थी और अब बोर्ड प्रशासन ओएमआर इस्तेमाल करना चाहता है। दलाल ने बताया कि हसला का एक प्रतिनिधिमंडल हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक डा़ गणेशन से मिला था। इस पर निदेशक ने ओएमआर शीट इस्तेमाल न करने का आश्वासन दिया था। अगर फिर भी बोर्ड द्वारा ओएमआर शीट का इस्तेमाल होता है तो वे इसका डटकर विरोध करेंगे। निजी स्कूल भी बोर्ड के इस कदम से खफा हैं।
छात्रों के हित में लेंगे फैसला
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डा. जगबीर सिंह ने कहा कि जो भी निर्णय लिया जाएगा बच्चों के हितों को ध्यान में रखकर लिया जाएगा। विद्यार्थियों के साथ अन्याय नहीं होगा।
फायदा
- एक घंटे के अंदर अंदर ओएमआर स्कैनर के माध्यम से 10,000 से अधिक कॉपियां जांची जा सकती हैं।
- कापी जांचने में गलतियां होने की संभावना न के बराबर रहती है।
- डाटा कलेक्ट करने में कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता। बहुत ही सरलता से डाटा कलेक्ट किया जा सकता है।
नुकसान
- ओएमआर शीट को भरते समय बहुत ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। इसका अभ्यास 10वीं और 12वीं के छात्रों को नहीं होता।
- यदि कोई उत्तर गलत भर दिया है तो इस स्थिति में उसे सही नहीं किया जा सकता।
- ओएमआर शीट को यदि अच्छे से नहीं भरा है तो ओएमआर स्केनर उसके डाटा को कलेक्ट नहीं करेगा।