दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 27 जुलाई
हरियाणा सरकार ने माइनिंग माफिया के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी कर ली है। अवैध माइनिंग पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के लिए ज्वाइंट एक्शन कमेटी बनाने का प्रस्ताव है। इसमें माइनिंग के अलावा वन, पुलिस व पंचायत विभाग के अधिकारी भी शामिल होंगे। गांवों के सरपंचों को भी इसमें जोड़ा जाएगा। खनन एवं भूविज्ञान मंत्री मूलचंद शर्मा ने इस तरह की योजना बनाई है।
हालांकि इस पर आधिकारिक तौर पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। कैबिनेट मंत्री जल्द ही पूरी योजना के साथ सीएम मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात करेंगे। सीएम की मंजूरी मिलते ही इसे अमल में लाया जाएगा। तावड़ू में डंपर चढ़ाकर डीएसपी की हत्या करने की घटना के बाद सरकार माइनिंग को लेकर और भी गंभीर हो गई है। हालांकि अवैध माइनिंग की शिकायतें अकेले नूंह से नहीं बल्कि डाडम, खनक, यमुनानगर व सोनीपत सहित कई जिलों से आती हैं। अवैध खनन और डीएसपी की हत्या के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी काफी कड़ा नोटिस लिया है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए विभाग ने अब ऐसी योजना पर काम शुरू कर दिया है ताकि अवैध माइनिंग के सभी चोर दरवाजों को बंद किया जा सके। अहम बात यह है कि नूंह, गुरुग्राम और फरीदाबाद में माइनिंग बंद की हुई है। इसके बाद भी यहां चोरी-छिपे माइनिंग हो रही है। इन एरिया में बड़ी संख्या में स्टोन क्रशर भी हैं, जिनका बिना माइनिंग के चल पाना संभव नहीं है।
अरावली एरिया में अवैध माइनिंग रोकने के लिए ज्वाइंट एक्शन कमेटी बनाने की तैयारी है। इस कमेटी में संबंधित गांव के सरपंच को भी शामिल करने की योजना है। विभाग का मानना है कि माइनिंग की जानकारी ग्राम स्तर पर सरपंच को सबसे पहले होती है। इसके बाद पुलिस के पास भी इसकी सूचना रहती है। विभाग को तो यहां तक सुझाव मिले हैं कि अवैध माइनिंग जिस भी एरिया में होती है, वहां के एसएचओ की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। अगर यह तय कर दिया जाए कि अवैध माइनिंग के मामले पकड़े जाते हैं तो संबंधित एरिया के एसएचओ पर कार्रवाई होगी तो आधी समस्या तो इससे ही दूर हो जाएगी। जिन एरिया में सरकार से लाइसेंस लेकर माइनिंग हो रही है, वहां नियमों के उल्लंघन के मामले तो माने जा सकते हैं, लेकिन अवैध माइनिंग की संभावना कम है। लाइसेंस वाले प्लाट में माइनिंग के नियमों को तोड़ने की बात विभाग स्वीकार कर रहा है। लिमिट से अधिक जगह में माइनिंग, शर्तों से अधिक गहरी खुदाई के मामलों को विभाग भी मान रहा है। हालांकि अब इस तरह के मामलों से निपटने के लिए भी सख्ती करने की तैयारी है।
अभी तक नहीं मिला पुलिस स्टाफ
खनन एवं भूविज्ञान विभाग ने अवैध माइनिंग व ओवरलोडिंग को रोकने के लिए डीएसपी सहित पुलिस के 78 जवानों को विभाग में शामिल करने का निर्णय लिया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इसकी मंजूरी भी दे चुके हैं लेकिन पिछले करीब एक वर्ष से विभाग को पुलिस का स्टॉफ नहीं मिला है। अभी तक महज 18 ही जवान पुलिस विभाग की ओर से माइनिंग को दिए गए हैं। इस बारे में कई बार बैठकों में भी मुद्दा उठ चुका है, लेकिन गृह मंत्रालय इसे गंभीरता से नहीं ले रहा।
‘अवैध खनन को रोकने के लिए ज्वाइंट कमेटी काम करेगी। कमेटी में खनन, वन, पंचायत व पुलिस विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। गांवों के सरपंचों को भी साथ लिया जाएगा ताकि अवैध खनन को रोका जा सके। प्रदेश में अवैध खनन पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जाएगा।’
-मूलचंद शर्मा, खनन एवं भूविज्ञान मंत्री