फरीदाबाद जिला सिविल अस्पताल में 2 अल्ट्रासाउंड मशीनें होने के बावजूद बैरंग लौट रहे मरीज
राजेश शर्मा/हप्र
फरीदाबाद 18 अप्रैल
फरीदाबाद के जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल अल्ट्रासाउंड के लिए गर्भवती महिलाओं को धक्के खाने पड़ रहे है। घंटों तपती धूप में लंबी-लंबी लाइनों में लगी गर्भवतियों को उस समय निराशा हाथ लगती है, जब उन्हें यह कहा जाता है कि अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर मौजूद नहीं है। दरअसल जिला सिविल में कहने को तो दो अल्ट्रासाउंड मशीनें है, लेकिन उन्हें चलाने के लिए एक ही रेडियोलॉजिस्ट है और उसकी भी पदोन्नति होने के कारण यहां अल्ट्रासांउड करवाना लोगों के लिए परेशानी सबब बन गया है। प्रधान चिकित्सा अधिकारी डा. सविता यादव के निवेदन पर पदोन्नत हुए डा. सुशील अहलावत सप्ताह में तीन दिन अल्ट्रासाउंड करते है, जिसमें भी वह आपाताकालीन तथा एमएलआर वाले मरीजों को पहले प्राथमिकता देते है, जिसके चलते यहां महिलाएं अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए धक्के खाने को मजबूर हो रही हैं। अल्ट्रासाउंड के लिए सबसे ज्यादा गर्भवतियों को परेशान होना पड़ता है। उन्हें एक हजार से 1200 रुपए तक निजी अल्ट्रासाउंड संचालकों को देने पड़ रहे हैं। बता दें कि नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन 30 से 40 महिलाओं के अल्ट्रसाउंड होते हैं। डा.सुशील अहलावत द्वारा इमरजेंसी में आने वाले मारपीट में घायल होने वाले लोगों और अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को ही अल्ट्रासाउंड में प्राथमिकता दी जा रही है। शेष मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। नागरिक अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीज आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं और वह स्वास्थ्य संबंधी जांच का खर्च भी नहीं वहन करने में सक्षम नहीं होते हैं। ऐसे में इन लोगों के अल्ट्रासाउंड कराना बड़ी चुनौती है। कई मरीज पैसे के अभाव में अल्ट्रासाउंड नहीं भी करवाते और बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं और ऐसी स्थिति जच्चा-बच्चा दोनों के लिए ही खतरनाक साबित हो सकती है।
निदेशालय को लिखा है पत्र
सिविल अस्पताल बादशाह खान की प्रधान चिकित्सा अधिकारी डा. सविता यादव ने बताया कि डा.सुशील अहलावत की पदोन्नति से पूर्व ही हमने निदेशालय को पत्र लिखकर रेडियोलाजिस्ट की मांग की थी। वह सप्ताह में तीन दिन आकर अल्ट्रासाउंड करते हैं। ताकि मरीजों को अधिक परेशान नहीं होना पड़े।
क्या कहती हैं महिलाएं
अनीता कुमारी ने बताया कि वह 4 माह से गर्भवती है और पिछले कई दिनों से बादशाह खान अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करवाने आ रही है, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते यहां मरीजों को निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों में जाने की सलाह दी जाती है, लेकिन ऐसी महंगाई में 1000 से 1200 रुपए तक अल्ट्रासाउंड के लेते हैं, जबकि वह झाडू पोंछा लगाकर परिवार का भरण पोषण कर रही है, ऐसे में निजी लैबों से अल्ट्रासाउंड करवाना उनके लिए किसी बड़े खर्चे से कम नहीं है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सरकार ने अस्पताल में मशीनें लगवा रखी हैं, लेकिन इन्हें चलाने वाले डॉक्टरों की भी तैनाती होनी चाहिए, जिससे कि गर्भवती व अन्य मरीजों को परेशानियों का सामना न करना पड़े।
मिलती है तारीख पर तारीख
मधु ने बताया कि जब वह अल्ट्रासाउंड करवाने गई तो डाक्टर ने उन्हें तारीख दे दी। जब वह तारीख वाले दिन थोड़ा लेट पहुंची तो कार्ड जमा करवाने वाले कर्मचारी ने उनका कार्ड लेने से इनकार कर दिया और लेट आने वाली अगली तारीख दें दी। क्योंकि अल्ट्रासाउंड के कार्ड सुबह 8 बजे से 9 बजे तक ही जमा होते है।
40-50
महिलाएं रोज आ रही अल्ट्रासाउंड कराने
1000-1200
रुपए अल्ट्रासाउंड के लिए वसूल रहे निजी अस्पताल
8 से 9 बजे
तक ही जमा होते हैं अल्ट्रासाउंड के लिए कार्ड