दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 4 मई
हरियाणा कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के बाद विपक्ष के नेता व पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने पहली बार शक्ति प्रदर्शन किया। नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष उदयभान के पदभार ग्रहण समारोह के बहाने जीटी रोड पर निकाले गए एक तरह के रोड-शो के जरिये न केवल अपनी सियासी ताकत दिखाई, बल्कि राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा को भी उन्होंने एक तरह से प्रोजेक्ट कर दिया। जिस तरह से पूरे आयोजन की कमान दीपेंद्र के हाथों में थी, उससे साफ संकेत मिले कि भविष्य की राजनीति के लिए हुड्डा ने अब दीपेंद्र को आगे कर दिया है।
सियासी गलियारों में रोड-शो को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है। हर कोई हुड्डा द्वारा दिए गए राजनीतिक मैसेज के गुणा-भाग में जुटा है। दरअसल, नयी दिल्ली से चंडीगढ़ के लिए रवाना हुए काफिले में वैसे तो कई गाड़ियां थीं, लेकिन हर किसी की नज़र उस गाड़ी पर थी, जिसमें हुड्डा सवार थे। हुड्डा के साथ प्रदेशाध्यक्ष उदयभान पीछे वाली सीट पर बैठे थे। कुंडली, राई, मुरथल व गन्नौर तक इस गाड़ी में कार्यकारी अध्यक्ष जितेंद्र कुमार भारद्वाज दीपेंद्र के पीछे वाली सीट पर नजर आए।
एक महीने से भी अधिक की कसरत के बाद प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन हुआ। माना जा रहा है कि हुड्डा, दीपेंद्र को प्रदेशाध्यक्ष बनवाना चाहते थे, लेकिन एंटी हुड्डा खेमा उनका विरोध कर रहा था। भूपेंद्र हुड्डा के सीएलपी बने रहने या प्रधान बनने से उनके विरोधियों को इसलिए दिक्कत नहीं थी, क्योंकि भविष्य में उनके लिए संभावनाओं के द्वार खुले रहते। दीपेंद्र की प्रधानगी से प्रदेश के कई नेताओं के भविष्य पर ‘खतरा’ मंडराने की आशंका थी। बहरहाल, हुड्डा ने दीपेंद्र को फ्रंट सीट पर बैठाकर यह संदेश तो साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों में दीपेंद्र ही प्रदेश में खुलकर ‘बैटिंग’ करते नज़र आ सकते हैं।
हरियाणा की राजनीति में सियासी विरासत इसी तरह से आगे बढ़ने की परंपरा रही है। प्रदेश के लाल परिवारों के अलावा भी और कई ऐसे सियासी घराने हैं, जो अपने बच्चों और परिवार के लोगों को राजनीति में आगे बढ़ाते आए हैं। उपप्रधानमंत्री रहे स्व़ देवीलाल की चौथी पीढ़ी इन दिनों राजनीति में है। देवीलाल ने अपनी सियासी विरासत ओमप्रकाश चौटाला को सौंपी। बेशक, उनके बेटे चौ़ रणजीत सिंह भी राजनीति में हैं और अब भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
स्व़ प्रताप सिंह चौटाला भी विधायक रहे हैं। इसी तरह से चौ़ बंसीलाल के दोनों बेटे रणबीर सिंह महेंद्रा और स्व़ सुरेंद्र सिंह राजनीति में आए। बंसीलाल ने अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी सुरेंद्र सिंह को बनाया था। सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी किरण चौधरी हरियाणा की राजनीति में आईं। इससे पहले वे दिल्ली में एक्टिव थीं। किरण अब तोशाम से विधायक हैं और उनकी बेटी श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद रही हैं। श्रुति को पार्टी ने कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष बनाया है।
इसी तरह से चौ़ भजनलाल के परिवार में भी वंशवाद चलता रहा है। भजनलाल खुद मुख्यमंत्री रहे। उनकी पत्नी जसमा देवी आदमपुर से विधायक रह चुकी हैं। वर्तमान में उनके छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कुलदीप की पत्नी रेणुका बिश्नोई भी आदमपुर और हांसी से विधायक रह चुकी हैं। भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई कालका से विधायक रहे हैं। वे हुड्डा सरकार में उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस हिसार से कुलदीप पुत्र भव्य बिश्नोई को चुनाव लड़वा कर भजन परिवार की चौथी पीढ़ी को सियासत में उतार चुकी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता चौ़ बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता उचाना कलां से विधायक रही हैं। उनके बेटे बृजेंद्र सिंह अब हिसार से भाजपा सांसद हैं। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव भी अपने बेटे चिरंजीव राव को रेवाड़ी का विधायक बनवा कर अपनी राजनीतिक विरासत उन्हें सौंप चुके हैं। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह बेटी और कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे को राजनीति में उतारने की जुगत में हैं। प्रदेश में और भी कई ऐसे उदाहरण हैं, जब नेताओं ने अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति में आगे बढ़ाया है।
‘फ्रंट सीट’ पर दीपेंद्र
शक्ति प्रदर्शन के दौरान फ्रंट सीट पर राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा सवार थे। पूरे रास्ते दीपेंद्र कभी खिड़की से बाहर निकल कर तो कभी सन-रूफ से लोगों का अभिवादन स्वीकार करते नज़र आए। उदयभान और भूपेंद्र हुड्डा ने भी सन-रूफ से बाहर निकलकर लोगों के साथ बातचीत की। इस घटनाक्रम के बाद चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि हुड्डा अब भविष्य की राजनीति के लिए दीपेंद्र सिंह हुड्डा को ही आगे बढ़ाएंगे।