हरियाणा में बिजली चोरी और लाइन लॉस बढ़ा, निगमों के हाथ-पांव फूले
हरियाणा में बिजली चोरी और लाइन लॉस में वृद्धि के कारण राज्य के बिजली वितरण निगमों की चिंता बढ़ गई है। उत्तर हरियाणा और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगमों के माध्यम से राज्य में बिजली आपूर्ति की जाती है। लंबे समय तक नियंत्रित रहने के बाद एग्रीगेट टेक्निकल एंड कॉमर्शियल (एटीएंडसी) लॉस में फिर से उछाल आया है।
वित्तीय वर्ष 2012-13 में एटीएंडसी लॉस औसतन 29.31 प्रतिशत था, जो 2015-16 में 30.02 प्रतिशत तक पहुंच गया। इसके बाद सुधार के प्रयासों से यह 2024-25 में घटकर 9.97 प्रतिशत हो गया, लेकिन चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 (जून तक) में यह बढ़कर 11.06 प्रतिशत दर्ज हुआ। वर्तमान में यूएचबीवीएन का लॉस 8.75 प्रतिशत और डीएचबीवीएन का 12.67 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है और वित्तीय दबाव बनाए हुए है। बिजली चोरी रोकने के लिए निगमों ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाए। वित्त वर्ष 2024-25 में 1.78 लाख परिसरों की जांच में 48,688 चोरी के मामले सामने आए, जिन पर 18,638.99 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। वसूली दर मात्र 50.25 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2025-26 (जून तक) में 52,630 परिसरों की जांच में 12,398 मामले पकड़े गए, जिन पर 4,925.21 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया और वसूली 57 प्रतिशत तक सीमित रही। बिजली चोरी के अलावा उपभोक्ताओं का बकाया भी निगमों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। जून 2025 तक कुल 7,695 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता सबसे बड़े डिफॉल्टर हैं। अकेले 11 लाख से अधिक उपभोक्ताओं पर 4400 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। औद्योगिक और सरकारी विभागों की देनदारियां भी समस्या को गहरा कर रही हैं।