दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 25 मई
चिलचिलाती भीषण गर्मी के बीच हरियाणा के राजनीतिक दलों और नेताओं ने इस बार लोकसभा का चुनाव लड़ा। छठे चरण में चुनाव होने की वजह से पार्टियों व नेताओं का पसीना भी अधिक बहा। शनिवार को लोकसभा की सभी दस सीटों पर मतदान सम्पन्न हो गया। चुनाव लड़ने वाले नेताओं का भविष्य अब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में बंद हो चुका है। 4 जून को नतीजे घोषित होंगे। ईवीएम स्ट्राॅन्ग रूम पहुंच चुकी हैं और कड़े सुरक्षा पहरे में रहेंगी।
चुनावों के परिणाम आने तक राजनीतिक दलों के नेताओं और मुख्य रूप से प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ी रहेंगी। उनका बीपी अप-डाउन होता रहेगा। अब नतीजों के आने तक नेताओं और दलों का समय मतदान प्रतिशतता के हिसाब से गुणा-भाग करने में गुजरेगा। लोकसभा के अंतर्गत आने वाले विधानसभा हलकों ही नहीं बल्कि मतदान केंद्रों तक का गणित खंगाला जाएगा। बूथ पर हुए मतदान के हिसाब से यह आइडिया लगाया जाएगा कि किस पार्टी को संबंधित बूथ पर कितने मत मिल सकते हैं।
2019 के लोकसभा चुनावों में प्रदेश की सभी दस सीटों पर जीत हासिल करने वाली सत्तारूढ़ भाजपा को भी इस चुनाव में कम मेहनत नहीं करनी पड़ी। प्रदेश में मोदी नाम के वोट बैंक को भी इनकार नहीं किया जा सकता। मतदान करने के बाद बाहर लौटने वाले मतदाताओं से हुई बातचीत के हिसाब से अगर देखें तो लोगों में पीएम मोदी के नाम का क्रेज बरकरार है। हरियाणा की मनोहर सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों में शुरू किया गया ‘मिशन मैरिट’ भी मतदाताओं के बीच चर्चाओं का विषय बना रहा।
लोकसभा चुनाव के नतीजों को हरियाणा में चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए रोडमैप माना जा रहा है। यह आईने की तरह स्पष्ट है कि लोकसभा का यह चुनाव हरियाणा विधानसभा के लिए सेमीफाइनल था। नतीजों के हिसाब से ही राजनीतिक दलों व इनके नेताओं की राहें तय होंगी। इतना ही नहीं, चुनावी नतीजों के हिसाब से ही सत्तारूढ़ भाजपा के अलावा प्रमुख विपक्षी दल – कांग्रेस के अलावा जजपा, इनेलो, आम आदमी पार्टी सहित दूसरे दलों की रणनीति तय होगी।
मनोहर का बढ़ेगा कद
करनाल सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे पूर्व सीएम मनोहर लाल का राजनीतिक कद चुनावी नतीजों के बाद और भी बढ़ने की संभावना है। उनका केंद्र में दखल भी बढ़ेगा। भाजपा ने लोकसभा का चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल के चेहरे के इर्द-गिर्द ही लड़ा। मनोहर सरकार की नीतियों का भी चुनाव प्रचार के दौरान खूब शोर रहा। मनोहर लाल को चुनाव जीतने के बाद केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की प्रबल संभावना है।
नतीजों से तय होगा हुड्डा का प्रभाव
पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पकड़ और राजनीतिक प्रभाव का भी आकलन लोकसभा चुनाव के नतीजों से होगा। हुड्डा प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए सबसे बड़े स्टार प्रचारक थे। रोहतक में उन्होंने दीपेंद्र हुड्डा के लिए जोर लगाया। साथ ही, फरीदाबाद में महेंद्र प्रताप सिंह, गुरुग्राम में राज बब्बर, सोनीपत में सतपाल ब्रह्मचारी, करनाल में दिव्यांशु बुद्धिराजा, हिसार में जयप्रकाश ‘जेपी’, भिवानी-महेंद्रगढ़ में राव दान सिंह तथा अंबाला में वरुण चौधरी के लिए प्रचार किया। कुरुक्षेत्र में इंडिया गठबंधन प्रत्याशी डॉ़ सुशील गुप्ता के लिए भी हुड्डा ने जनसभाएं की। हालांकि वे सिरसा में कुमारी सैलजा के प्रचार में एक बार भी नहीं गए। हुड्डा की पसंद से ही राज्य में अधिकांश उम्मीदवार उतारे गए। ऐसे में लोकसभा चुनाव के नतीजों से कांग्रेस का भविष्य तय होगा।
सुशील गुप्ता से जुड़ा आप का भविष्य
हरियाणा में आप का क्या राजनीतिक भविष्य रहेगा, इसका फैसला कुरुक्षेत्र लोकसभा के नतीजे तय करेंगे। यहां से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे नवीन जिंदल के प्रभाव को कम कर पाना उनके लिए आसान नहीं लगता। देश के बड़े उद्योगपति और सोशल कार्यों में जुड़े रहने वाले जिंदल अगर चुनाव जीतते हैं कि केंद्रीय राजनीति में उनका कद बढ़ना तय है।
आप ने कांग्रेस के साथ गठबंधन के तहत कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ा है। आम हरियाणा में विधानसभा चुनाव लड़ने की भी तैयारियां कर रही है। अगर कुरुक्षेत्र के परिणाम आप के हिसाब से नहीं आए तो प्रदेश में आप की राहें और भी मुश्किल हो जाएंगी।
जजपा-इनेलो के लिए वजूद की लड़ाई
भाजपा के साथ सवा चार वर्षों तक गठबंधन सहयोगी रही जननायक जनता पार्टी के अलावा इनेलो भी लोकसभा चुनाव में वजूद की लड़ाई लड़ती नजर आयी। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की माता व बाढ़डा विधायक नैना सिंह चौटाला हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। वहीं इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला खुद कुरुक्षेत्र से चुनावी रण में हैं। अभय के सामने इनेलो का सिम्बल बचाने की भी चुनौती है। अगर निर्धारित वोट प्रतिशत इनेलो को नहीं मिलता तो उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी। वहीं जजपा को मिलने वाले वोट प्रतिशत से विधानसभा में उनका भविष्य तय होगा।
एसआरके को सैलजा से उम्मीद
हरियाणा में एंटी हुड्डा खेमा यानी एसआरके ग्रुप (कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला व किरण चौधरी) को सैलजा से ही उम्मीद है। एसआरके ग्रुप से अकेले कुमारी सैलजा ही सिरसा से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। उनके कोटे से बाकी किसी भी नेता को टिकट नहीं मिला। एसआरके की मजबूती सैलजा की हार-जीत पर निर्भर करेगी। अगर सैलजा सिरसा से लोकसभा का चुनाव जीतती हैं तो वे हुड्डा खेमे के सामने बड़ा चैलेंज बन सकती हैं। यानी आने वाले दिनों में कांग्रेस की लड़ाई और बढ़ेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि चार महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं।